DELHI: वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2024) में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 5.4% पर सिमट गई है। यह आंकड़ा पिछले साल की इसी अवधि के 8.1% की तुलना में काफी कम है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
रिटेल महंगाई और कॉरपोरेट नतीजों का असर
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिटेल खाद्य महंगाई में वृद्धि और कॉरपोरेट कंपनियों के खराब नतीजों के कारण जीडीपी के आंकड़े उम्मीद से कम रहे। रिजर्व बैंक ने भी पहले ही अपनी वृद्धि दर के अनुमान को घटा दिया था।
विभिन्न क्षेत्रों में स्थिति
कृषि क्षेत्र की स्थिति की बात करें तो पिछले चार तिमाहियों के बाद सुधार देखने को मिला है और यह 3.5% की वृद्धि दर के साथ सकारात्मक रहा। वहीं निर्माण क्षेत्र में भी अच्छी वृद्धि देखी गई है और यह 7.7% की दर से बढ़ा है। सेवा क्षेत्र में भी 7.1% की वृद्धि दर के साथ अच्छा प्रदर्शन कर रहा है जबकि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 2.2% रही, जबकि खनन क्षेत्र में 0.1% की गिरावट दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में रियल जीवीए (ग्रॉस वैल्यू एडिशन) में 6.2% की वृद्धि हुई है। हालांकि, दूसरी तिमाही में यह घटकर 5.6% रह गई।
क्यों आई है मंदी?
बढ़ती महंगाई ने लोगों की खर्च करने की क्षमता को कम किया है। वैश्विक स्तर पर मंदी का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। वहीं कॉरपोरेट कंपनियों के खराब नतीजों ने निवेश को प्रभावित किया है। ऐसे में सरकार को महंगाई को नियंत्रित करने, निवेश को बढ़ावा देने और निर्यात को बढ़ाने के लिए कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही, वैश्विक परिस्थितियों पर भी नजर रखनी होगी।