महागठबंधन में नहीं सुलझ पाया है सीट बंटवारे का फॉर्मूला, कांग्रेस ने जारी की कैंडिडेट के नाम की पहली लिस्ट, इतने नेता शामिल AIMIM में टिकट बंटवारे को लेकर बवाल, प्रदेश अध्यक्ष पर टिकट बेचने का गंभीर आरोप BIHAR ELECTION 2025: बेतिया में कांग्रेस के खिलाफ अल्पसंख्यक समुदाय का विरोध, टिकट बंटवारे में अनदेखी का आरोप BIHAR ELECTION 2025: बड़हरा से RJD ने रामबाबू सिंह पर जताया भरोसा, सिंबल मिलते ही क्षेत्र में जश्न Patna Crime News: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच पटना से JDU नेता अरेस्ट, इस मामले में हुई गिरफ्तारी Patna Crime News: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच पटना से JDU नेता अरेस्ट, इस मामले में हुई गिरफ्तारी Bihar Election 2025: पूर्व IPS शिवदीप लांडे ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दाखिल किया नामांकन, बिहार चुनाव में दिखाएंगे ताकत Bihar Election 2025: पूर्व IPS शिवदीप लांडे ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दाखिल किया नामांकन, बिहार चुनाव में दिखाएंगे ताकत Bihar Election 2025: बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, RLJP चीफ पशुपति पारस का बड़ा एलान Bihar Election 2025: बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, RLJP चीफ पशुपति पारस का बड़ा एलान
1st Bihar Published by: Updated Tue, 15 Sep 2020 11:24:15 AM IST
- फ़ोटो
SITAMARHI : खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने को लेकर बिहार सरकार लाख दावे कर ले, लेकिन हकिकत कुछ और ही बयान करती है. खो-खो में आठ बार वह राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में बिहार का नेतृत्व कर चुका खिलाड़ी आज हजामत की दुकान चलाकर दो जून की रोटी जुटाने पर मजबूर है. लेकिन इसके बाद भी उसका हौसला कम नहीं हुआ है. खिलाड़ी दुकान चलाने के साथ-साथ अब अपने गांव के बच्चों को खो-खो का प्रशिक्षण दे रहा है.
सरकार के इस दावे को आईना सीतामढ़ी के रहने वाले कमलेश कुमार दिखा रहे हैं.सीतामढ़ी के परिहार प्रखंड के सुरगहिया गांव के रहने वाले कमलेश आठ बार वह राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में बिहार का नेतृत्व कर चुके हैं. असम, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, कर्नाटक, दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कई शहरों में उसने बड़े प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया लेकिन अपने ही बिहार में आज हजामत की दुकान चला कर गुजर-बसर करने को विवश है.
उसके मुताबिक उसने अपनी जिन्दगी खेल के नाम कर दी, लेकिन बदले में मिली तंगहाली. कमलेश का कहना है कि वे अब तक जितने भी जगह गए हैं चंदे के पैसे से गए हैं. सिस्टम से कोई भी मदद नहीं मिली. लेकिन अभी भी उम्मीद है कि कभी तो सिस्टम जगेगा और उसकी प्रतिभा का कद्र होगा. कमलेश अपने अधूरे सपने को पूरा करने के लिए गांव के बच्चों को खो-खो का प्रशिक्षण देते हैं. अब कमलेश को सिस्टम से मदद की उम्मीद है.