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13-Dec-2024 11:46 PM
गीता जयंती के पावन अवसर पर यह स्मरण किया जाता है कि मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को महाभारत के युद्धभूमि में श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन और प्रबंधन के लिए अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करती है।
गीता के श्लोक और उनके मैनेजमेंट सूत्र:
1. इच्छाओं का त्याग और शांति
श्लोक:
विहाय कामान् य: कर्वान्पुमांश्चरति निस्पृहः।
निर्ममो निरहंकारः स शांतिमधिगच्छति।।
अर्थ:
जो मनुष्य सभी इच्छाओं और कामनाओं का त्याग करके, ममता और अहंकार रहित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करता है, वही सच्ची शांति प्राप्त करता है।
मैनेजमेंट सूत्र:
शांति प्राप्ति के लिए इच्छाओं को नियंत्रित करना अनिवार्य है। किसी भी कार्य में परिणाम की आसक्ति से बचकर उसे समर्पण भाव से करना चाहिए। कार्य की सफलता-असफलता को सहजता से स्वीकार करना प्रबंधन का मूल मंत्र है।
2. कर्म का महत्व
श्लोक:
न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।
कार्यते ह्यशः कर्म सर्व प्रकृतिजैर्गुणैः।।
अर्थ:
कोई भी प्राणी बिना कर्म किए क्षणभर भी नहीं रह सकता। सभी प्रकृति के गुणों से प्रेरित होकर कर्म करते हैं।
मैनेजमेंट सूत्र:
कार्य से भागने का परिणाम नकारात्मक होता है। कर्म से ही प्रगति संभव है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता और विवेक के अनुसार कर्मरत रहना चाहिए। निष्क्रियता भी एक कर्म है, लेकिन यह हानिकारक है।
3. अपने धर्म का पालन
श्लोक:
नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः।
शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्धयेदकर्मणः।।
अर्थ:
अपने धर्मानुसार कर्म करना श्रेष्ठ है, क्योंकि बिना कर्म किए जीवन का निर्वाह भी संभव नहीं है।
मैनेजमेंट सूत्र:
हर व्यक्ति को अपने निर्धारित कार्य और जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए। उदाहरणस्वरूप, विद्यार्थी का धर्म अध्ययन करना है, और शिक्षक का धर्म शिक्षण देना।
4. नेतृत्व और प्रेरणा
श्लोक:
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।
अर्थ:
श्रेष्ठ व्यक्ति जैसा आचरण करता है, सामान्य लोग उसका अनुसरण करते हैं।
मैनेजमेंट सूत्र:
नेतृत्वकर्ता का व्यवहार उसके अनुयायियों के लिए प्रेरणास्रोत बनता है। संगठनों और संस्थानों में उच्चाधिकारियों का कार्य आचरण ही निचले स्तर पर अनुकरणीय होता है।
5. अज्ञानियों को प्रेरणा देना
श्लोक:
न बुद्धिभेदं जनयेदज्ञानां कर्म संगिनाम्।
जोषयेत्सर्वकर्माणि विद्वान्युक्तः समाचरन्।।
अर्थ:
ज्ञानी व्यक्ति को अज्ञानियों के मन में कर्म के प्रति भ्रम उत्पन्न नहीं करना चाहिए। बल्कि उन्हें प्रेरित करना चाहिए।
मैनेजमेंट सूत्र:
सच्चा नेतृत्व वही है, जो सहयोगियों को कर्म के प्रति प्रेरित करे। दूसरों को आलस्य या लापरवाही के लिए प्रेरित करना एक सफल प्रबंधन का हिस्सा नहीं है।
6. व्यवहार के अनुसार फल
श्लोक:
ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्या पार्थ सर्वशः।।
अर्थ:
जो मनुष्य मुझे जिस प्रकार स्मरण करता है, उसे उसी प्रकार का फल प्राप्त होता है।
मैनेजमेंट सूत्र:
व्यक्ति जैसा व्यवहार दूसरों के साथ करता है, वैसा ही व्यवहार उसे वापस मिलता है। अच्छा व्यवहार संगठन और समाज में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
गीता का सार:
गीता के उपदेश हमें जीवन जीने की कला और बेहतर प्रबंधन सिखाते हैं। कर्म में समर्पण, इच्छाओं का त्याग, नेतृत्व के आदर्श, और सदैव प्रेरणादायक बने रहना गीता के प्रमुख संदेश हैं। गीता जयंती पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम गीता के इन सूत्रों को अपने जीवन और कार्य क्षेत्र में अपनाएं और सफलता प्राप्त करें।