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फोरलेन निर्माण में लगी गाड़ियों को परमिशन के बाद भी SHO ने किया जब्त, छोड़ने के लिए मांगी मोटी रकम; पढ़िए फिर क्या हुआ

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 09 Sep 2024 09:22:35 AM IST

फोरलेन निर्माण में लगी गाड़ियों को परमिशन के बाद भी SHO  ने किया जब्त, छोड़ने के लिए मांगी मोटी रकम; पढ़िए फिर क्या हुआ

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MUZAFFARPUR : बिहार में बिना पैसे दिए कोई काम नहीं होता है। राज्य के अंदर यदि आपको अपना कोई भी काम समय से बिना कोई समस्या से जूझते हुए करवाना है तो इससे संबधित अधिकारीयों की जेब गर्म करनी पड़ती है। यह बातें अक्सर कहीं न कहीं से सुनने को मिलता है। ऐसे में अब एक ताजा मामला मुजफ्फरपुर से निकल कर सामने आ रहा है। जहां NH 77 फोरलेन निर्माण में लगी तीन ट्रैक्टर को जब्त कर लिया गया है। अब इसे छोड़ने के लिए सम्बंधित थाने के  थानाध्यक्ष ने मोटी रकम दी डिमांड कर दी है। 


जानकारी के मुताबिक, मुसहरी के थानेदार द्वारा बीते 29 जुलाई को मुजफ्फरपुर एनएच 77 फोरलेन के निर्माण में मिट्टी लेकर जा रही सेल का इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के ट्रैक्टर को रोक कर कागजात दिखाने को कहा गया इसके बाद सभी कागजात को दिखाने के बाद भी चालकों के साथ मारपीट की गई और थाना परिसर में तीनों गाड़ी को जप्त कर लिया गया। इतना ही नहीं सभी चालकों का मोबाइल फोन भी थानेदार रंजीत कुमार गुप्ता के द्वारा जप्त किया गया। 


सबसे बड़ी बात यह है कि मुजफ्फरपुर एनएच 77  फोरलेन निर्माण में लगी कंपनी को खनन विभाग से भी मिट्टी भरने का परमिशन है। इसके बाद भी थानेदार रंजीत कुमार गुप्ता द्वारा यह एक्शन लिया गया। वहीं इस मामले की जानकारी मिलने के बाद ट्रैक्टर मालिक ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर थानेदार से बात की लेकिन बात बनी नहीं। उल्टा कई तरह के डिमांड भी किए गए और बातें भी कही गई। उसके बाद ट्रैक्टर मालिक ने इसको लेकर तत्काल जिले के वरीय अधिकारियों से संपर्क साधा तो पुरे मामले से उनको अवगत करवाया। 


वहीं, घटना की जानकारी मिलने के उपरांत वरीय अधिकारियों के तरफ से थानेदार को डांट-फटकार भी लगाई गई। इस फटकार के बाद थानेदार ने मोबाइल के साथ-साथ सभी ट्रैक्टर को रिलीज कर दिया लेकिन रकम मांगने में कोताही नहीं दिखाई। उसके बाद पूरे मामले को लेकर ट्रैक्टर मालिक अवधेश कुमार सिंह ने बिहार के उपमुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री से इसकी शिकायत की और कहा कि इस तरह की पुलिसिंग की व्यवस्था से बेवजह काम को प्रभावित किया जा रहा है। अधिकारियों के कहने पर सब कुछ ठीक हुआ लेकिन हर चीज में पैसा का डिमांड किया गया यह अनुचित है और सभी लोग इससे परेशान भी है। उधर, शिकायत के बाद उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया। 


उधर, इस  पूरे मामले में थानेदार ने कहा कि आरोप निराधार है। लेकिन,सवाल उठता है कि सारे कागजात दिखाने के बाद भी गाड़ियों को जप्त करना और चालकों के साथ मारपीट कर मोबाइल जप्त करना फिर पुनः वापस कर देना क्या सही था ? क्या उनके तरफ से सही मायने में पैसे को कोई मांग नहीं की गई थी और उन्होंने कागज़ देखने पर ही सबकुछ छोड़ देने का निर्णय किया तो मामला वरीय अधिकारी के पास पंहुचा की क्यों ?