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फिर चलेगा केके पाठक का डंडा: बेतिया राज की अकूत संपत्ति अब बिहार सरकार की, 15 हजार एकड़ जमीन पर लाखों लोगों का कब्जा खत्म होगा

फिर चलेगा केके पाठक का डंडा: बेतिया राज की अकूत संपत्ति अब बिहार सरकार की, 15 हजार एकड़ जमीन पर लाखों लोगों का कब्जा खत्म होगा

26-Nov-2024 08:02 PM

PATNA: (Bihar News)  बिहार के कई जिलों से लेकर उत्तर प्रदेश तक फैले बेतिया राज के साम्राज्य पर अब बिहार सरकार के अधीऩ आ गया. एक दौर में बिहार के सबसे बड़े राजघरानों में शामिल बेतिया राज की बिहार और यूपी में फैली बेशुमार और बेशकीमती जमीन को सरकार के कब्जे में लेने का विधेयक आज बिहार विधानमंडल से पास हो गया. खास बात ये है कि बेतिया राज की करीब 15 हजार एकड़ जमीन पर लाखों लोगों का कब्जा है. इतनी जमीन को लोगों के कब्जे से मुक्त कराने का जिम्मा बिहार के राजस्व पर्षद को मिलेगा. राजस्व पर्षद के अध्यक्ष बहुचर्चित आईएएस अधिकारी केके पाठक (KKPathak) हैं. यानि के के पाठक का डंडा फिर से चलेगा.


मंगलवार को सरकार की तरफ से राजस्व और भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने विधानमंडल में विधेयक पेश किया जिसमें बेतिया राज की संपत्तियों को सरकार में निहित करने का प्रावधान है. इस विधेयक को विधानसभा से और फिर विधान परिषद से पास करा लिया गया. इसके साथ ही बेतिया राज की सारी संपत्ति अब बिहार सरकार की हो जाएगी. 


बेतिया राज की 15 हजार एकड़ की संपत्ति

बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने बताया कि बेतिया राज की 15 हजार एकड़ से अधिक जमीन और अन्य संपत्ति अब राज्य सरकार अपने कब्जे में लेने जा रही है. बेतिया राज की जमीन बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी है। बिहार में बेतिया राज की 15213 एकड़ जमीन है तो यूपी में 143 एकड़ जमीन है. बिहार में बेतिया राज की ज्यादातर जमीन पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में है. इसके अलावा सारण, सीवान, गोपालगंज और पटना में भी बेतिया राज की जमीन है. पूरे जमीन की कीमत 8000 करोड़ से ऊपर है.


विधानसभा में विरोध

विधानसभा में जब इस विधेयक पर चर्चा हो रही थी तब पूरे विपक्ष ने सदन का बहिष्कार कर रखा था. फिर भी सिकटा से सीपीआई-एमएल के विधायक बीरेंद्र गुप्ता ने बिल का विरोध किया. उन्होंने कहा कि ये काला कानून है और इससे 1885 के बाद बसे लाखों लोग बेघर हो जायेंगे. वैसे मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि कानून नोटिफाई होने के बाद सरकार जमीन की लिस्ट जारी करेगी और प्रभावित होने वाले लोगों से आपत्तियां लेकर उनका निराकरण भी करेगी.


केके पाठक का चलेगा डंडा

पहले बेतिया राज के पूरी कहानी को जानिये. हरेंद्र किशोर सिंह बेतिया राज के आखिरी राजा थे, जिनका निधन 1893 में हो गया था. उनकी कोई संतान नहीं थी लेकिन वे अपने पीछे दो पत्नियों को छोड़ गए थे 1896 में उनकी पहली पत्नी महारानी शिवरत्न कुंवर का निधन हो गया. जबकि दूसरी पत्नी जानकी कुंवर 1954 में गुजर गईं. अंग्रेजों ने महारानी जानकी कुंवर को 1897 में राजपाट संभालने के अयोग्य घोषित कर दिया था और बेतिया राज की संपत्तियों को कोर्ट ऑफ वार्ड्स एक्ट 1879 के तहत डाल दिया था. 


चूंकि बेतिया राज की प्रॉपर्टी को अंग्रजों ने कोर्ट ऑफ वार्ड्स एक्ट के तहत डाल दिया था, लिहाजा आजादी के बाद बेतिया राज की भी सारी जमीन बिहार सरकार के राजस्व पर्षद के अधीन आ गया था. बिहार सरकार ने कुछ महीने पहले बिहार राजस्व पर्षद के अध्यक्ष पद पर कड़क आईएएस अफसर केके पाठक की तैनाती की है. राजस्व पर्षद में अपनी तैनाती के बाद केके पाठक बेतिया राज की जमीन से अवैध कब्जा हटाने की मुहिम चला रहे हैं. 


केके पाठक ने सरकारी अधिकारियों को बेतिया राज की जमीन पर अवैध कब्जे का हिसाब निकालने का निर्देश दे रखा है. अब तक की छानबीन में बिहार के पूर्वी चंपारण  और पश्चिमी चंपारण जिले में बेतिया राज की लगभग 3600 एकड़ पर अवैध कब्जा या अतिक्रमण का हिसाब मिला है. सिर्फ बेतिया में 11600 अतिक्रमणकारियों की पहचान हो चुकी है. 


केके पाठक ने बेतिया राज की संपत्ति वाले जिलों के डीएम के साथ इसकी समीक्षा कर अतिक्रमणकारियों पर केस करने कहा है. अब तक बेतिया में 8528 लोगों पर अतिक्रमण का केस हो चुका है. मोतिहारी में 2647 अतिक्रमण वालों की पहचान हुई है जिनमें 1230 लोगों को नोटिस भेजा गया है और 1214 लोगों पर केस दर्ज हो गया है. पूर्वी औऱ पश्चिम चंपारण में कुल 3661.11 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण मिला है जिसमें मोतिहारी में 2617.46 एकड़ और बेतिया में 1043.65 एकड़ है.


केके पाठक बेतिया राज की जमीन पर कब्जे और अतिक्रमण के मामलों मे  प्राथमिकी दर्ज कर आरोप गठित करने का निर्देश दे रखा है. राज्य सरकार बेतिया राज की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने की तैयारी में है और इस मुश्किल काम के लिए केके पाठक से बेहतर और कोई अफसर हो नहीं सकता. सरकार के पास अतिक्रमण की पूरी लिस्ट तैयार है. वहां से कब्जा हटाने के लिए कभी भी केके पाठक का डंडा चल सकता है और बुलडोजर भी.


उधर, राजस्व और भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा है कि कोर्ट ऑफ वार्ड्स एक्ट के तहत भी ये जमीनें पहले से राजस्व बोर्ड के अधीन थी. इस विधेयक के पास होने से अब ये सारी जमीन सीधे सरकार के पास आ गई है और इसका इस्तेमाल सामुदायिक कल्याणकारी योजनाओं के लिए भी किया जा सकता है. इस कानून से राज्य सरकार को बेतिया राज की जमीन का बेहतर उपयोग करने की ताकत मिल गई है


बेतिया राज की किस जिले में कितनी जमीन

पश्चिमी चम्पारण- 9758.58 एकड़

पूर्वी चम्पारण- 5320.51 एकड़

सीवान- 7.29 एकड़

गोपालगंज- 35.58 एकड़

पटना- 4.81 एकड़

सारण- 88.41 एकड़

उत्तर प्रदेश में इतनी जमीन

कुशीनगर- 61.16 एकड़

गोरखपुर- 50.92 एकड़

वाराणसी- 10.31 एकड़

प्रयागराज- 4.54 एकड़

बस्ती- 6.31 एकड़

अयोध्या- 1.86 एकड़

महाराजगंज- 7.53 एकड़

मिर्जापुर- 0.91 एकड़