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DELHI: सोमवार, 2 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के हजारों किसान दिल्ली कूच करने के लिए नोएडा बॉर्डर पर पहुंचे। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर जुटे किसानों ने अपनी मांगें मनवाने के लिए प्रशासन के साथ जद्दोजहद की। किसानों के दिल्ली कूच के मद्देनजर नोएडा की सीमाओं को पूरी तरह सील कर दिया गया था।
पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती की गई थी। किसानों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की गई और वाहनों की जांच की गई। हालांकि, किसानों ने धैर्य नहीं खोया और अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे।
क्या हैं किसानों की मांगें?
किसान मुख्य रूप से पुराने अधिग्रहण कानून के तहत 10% प्लॉट और मुआवजे में 64.7% की बढ़ोतरी। 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि के लिए चार गुना बाजार मूल्य और 20% प्लॉट। न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी। किसानों का कर्ज माफ किया जाए। किसानों को पेंशन दी जाए। पिछले प्रदर्शनों के दौरान दर्ज पुलिस केस वापस लिए जाएं। 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय मिले।
7 दिन का अल्टीमेटम
किसान नेताओं ने प्रशासन को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया है। अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे फिर से दिल्ली कूच करेंगे। किसान नेताओं और प्रशासन के बीच हुई वार्ता का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। किसानों की मांगों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। किसानों और प्रशासन के बीच गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला किस तरह से सुलझता है।