PATNA: बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बड़ा बयान दिया है। कहा कि बिहार में अधिकारियों का ट्रांसफर और पोस्टिंग उद्योग बन गया है। मलाईदार विभागों के मंत्री मालामाल हो रहे हैं। पैसा देकर ट्रांसफर पोस्टिंग कराने के लिए अधिकारियों में होड़ मची हुई है। वही ईमानदार पदाधिकारियों को ट्रांसफर पोस्टिंग में किनारा लगाया जा रहा है।
विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि अधिकारियों का स्थानांतरण पदस्थापन राज्य में उद्योग का रूप धारण कर चुका है। नियमानुसार जून माह में विभागीय मंत्री के स्तर से वर्ग 1 औऱ 2 के अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग होती है। इसके लिए सामान्य प्रशासन बिभाग का परिपत्र के द्वारा बिस्तृत दिशा निर्देश भी जारी है लेकिन उनका अनुपालन नहीं किया जाता है।
उन्होंने कहा कि भष्ट अधिकारी पैसे के बल पर मलाईदार विभागों में कमाई की दृष्टि से महत्वपूर्ण जगह पर अपना पदस्थापन करा लेते हैं।जून आने से कुछ माह पूर्व अधिकारियों में मनचाहा पोस्टिंग के लिए होड़ लग जाती है।वे बिभिन्न विभागों के मंत्रियों और प्रधान सचिव के नजदीकी स्रोतों से संपर्क साधकर अपना मिशन पूरा करते हैं।
विजय सिन्हा ने कहा कि मलाईदार विभागों के मंत्री जून माह में मालामाल हो जाते हैं।यहाँ अधिकारी पैसा देकर अपनी पोस्टिंग कराते हैं औऱ पदस्थापन के बाद वहां की जनता से कई गुणा वसूली करते हैं।माह जून में मुख्यमंत्री का भरस्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति शिथिल कर दी जाती है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग के 10+2 सम्बर्ग के शिक्षकों की पोस्टिंग इसी बिभाग के प्रशासनिक संवर्ग में होनी है जिसके लिए संचिका लगभग 25-30 दिन से शिक्षा मंत्री के पास रूकी पड़ी है।वे उस संचिका का निष्पादन क्यों नहीं कर रहे हैं, उनसे कारण पूछा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, नगर विकास, राजस्व भूमि सुधार,ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य, भवन निर्माण, जल संसाधन, सहित दर्जनों विभागों में अभी मालदार एवम रसूखदार लोग सक्रिय हो गये हैं।रोज़ नया डील किया जा रहा है।ईमानदार अधिकारियों को किनारे लगा दिया गया है।वे इस दौड़ से बाहर हो गए हैं क्योंकि उनके पास खास जगह पर पोस्टिंग के लिये पैसा नहीं है।
विजय सिन्हा ने माँग की है कि मुख्यमंत्री जी को इस ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल बंद करने के लिए शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए। पद पर बने रहने के लिए मुख्यमंत्री जी द्वारा नीति और सिद्धान्त से समझौता कर लिया गया है जिसके कारण बिहार में प्रशासनिक अराजकता व्याप्त हो गया है।