SAHARSA : बिहार के सहरसा जिले में बानगांव के रहने वाले दिलखुश कुमार की एक ऐसी कहानी सामने आई है, जिसके बारे में जानकर आप चौंक जायेंगे. दिलखुश कुमार की स्टोरी सुनकर आपका भी दिल खुश हो जायेगा. क्योंकि इनकी कहानी ही कुछ ऐसी है. दरअसल मधेपुरा में यात्रियों को ऑनलाइन कार, टैक्सी या कोई अन्य वाहन उपलब्ध कराने वाले दिलखुश कुमार ने अपने जीवन की किताब में से एक ऐसे अध्याय को सोशल मीडिया पर रखा है, जिसकी काफी चर्चा हो रही है. शनिवार को खुद का आईफोन खरीदने वाले दिलखुश ने फेसबुक पर अपनी कहानी शेयर करते हुए लिखा है कि एक समय इंटरव्यू में आईफोन नहीं पहचानने पर उन्हें नौकरी नहीं मिली थी. आईफोन नहीं पहचान पाने पर तब 4500 की नौकरी खोने वाले दिलखुश ने आज खुद उस तनख्वाह से 10 गुना ज्यादा महंगा खुद का आईफोन मोबाइल खरीद लिया है. इतना ही नहीं दिलखुश लाखों रुपये के मालिक भी बन गए हैं.
मधेपुरा में यात्रियों को ऑनलाइन कार, टैक्सी या कोई अन्य वाहन उपलब्ध कराने वाले दिलखुश कुमार ने फेसबुक पर अपने जीवन की कहानी को शेयर करते हुए लिखा है कि "लंबी दूरी तय करने में वक्त तो लगता है #साहब आज मैं अपने #ड्रीम_फ़ोन iPhone 11 (256 GB) का बेसब्री से इंतजार कर रहा था, अमेज़न वाले को इसे आज डिलीवरी देना था जैसे जैसे समय बीत रहा था मिलने की बेचैनी बढ़ती जा रही थी अंततः आज 4 बजे मिलन हो ही गया।"
उन्होंने आगे लिखा कि "आज से लागभग 10 वर्ष पूर्व सहरसा में जॉब मेला लगा था। मैं भी बेरोजगार की श्रेणी में खरा था, पापा मिनी बस चलाते थे तनख्वाह लागभग 4500 थी। जिसमें घर चलाना कठिन हो रहा था ऐसे में मुझे नौकरी की जरूरत महसूस होने लगी, मैं भी उस मेले में भाग लिया जहां पटना की एक कंपनी में अपना सारा दस्तावेज जमा किया था, उसी कंपनी के एक साहब थे उन्होंने कहा आपका आवेदन पटना भेज रहे है 5 अगस्त को पटना के SP वर्मा रोड़ में आ जाइएगा वहां इंटरव्यू होगा, वहां सफ़ल हो गए तो 2400/ माह सैलरी मिलेगी। मैं उस दिन का बेसब्री से इन्जार कर रहा था, कई रात ठीक से सो नहीं पाया था, बस उसी नौकरी के बारे में सोचते रहते थे लागभग 1 सप्ताह इन्जार के बाद 5 तारीख़ आ ही गया, सुबह 5 बजे सहरसा से पटना की ट्रेन थी, जो 11 बजे तक पटना पहुंचा देती थी.
इंटरव्यू का समय 3 बजे का था, सुबह जैसे ही उठे मूसलाधार बारिश की आवाज़ सुनाई दी, बाहर निकला तो देखा बहुत तेज बारिश हो रही थी समझ मे नहीं आ रहा था स्टेशन कैसे पहुँचूँ, हमारे गांव से स्टेशन की दूरी 10 किलोमीटर है, अंत में अपने एक परिचित के सहयोग से प्लस्टिक से पूरे शरीर को ढक कर स्टेशन पहुंचा और ट्रेन पकर कर पटना के लिए चल परा, मन से ईश्वर को याद करते करते पटना पहुंचा लेकिन बारिस पटना में भी पीछा नहीं छोड़ा यहाँ भी मूसलाधार बरस रही थी, अपने जीवन में पहली बार पटना आया था जगह का कोई ज्ञान नहीं था, प्लेटफार्म पर ही एक महानुभाव से पता पूंछा तो बताए बगल में ही है 5 मिनट का रास्ता है, मैं कुछ देर बारिश छूटने का इन्जार किया जब बारिश नहीं रुकी तो भींगते ही निकल गए और SP वर्मा रोड पहुंच गए।"
दिलखुश ने आगे लिखा है कि "जिस बिल्डिंग में गए उसमे मेरे जैसे 10 से 15 लोग पहले से मौजूद थे सब बारी बारी से अपना इंटरव्यू देकर निकल रहे थे जब मेरी बारी आई तो मैं भी अंदर गया सामने 3 साहब और 2 साहिबा बैठी हुई थी प्रणाम पाती किए तो साहब लोगों को बुझा गया कि लड़का पियोर देहाती है, नाम पता परिचय सम्पन्न होने के बात साहब अपना फोन उठाए और उसका लोगो दिखाते हुवे पूछे इस कंपनी का नाम बताओ, मैं वो लोगो उस दिन पहली बार देखा था मुझे नहीं पता था इसलिए मैंने कह दिया सर मैं नहीं जानता हूँ, तब साहब का उत्तर आया ये Iphone है और ये Apple कंपनी का है। मेरी नौकरी तो नहीं लगी, वापस गांव आया और विरासत में मिली ड्राइवर की गुण को पेशा बनाकर पिताजी के रास्ते पर ही निकल परा और आज.....। साहब का Iphone दिखाने का स्टाइल कल तक मेरे आंखों में घूम रहा था, आज Iphone आ गया अब शायद आज से साहब याद नहीं आएंगे।"