पीएम मोदी ने कहा- सेवक बनकर करता हूं काम, नागरिकता संंशोधन बिल का विरोध करने वालों को भी दिया करारा जवाब

पीएम मोदी ने कहा- सेवक बनकर करता हूं काम, नागरिकता संंशोधन बिल का विरोध करने वालों को भी दिया करारा जवाब

DUMKA: झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर दुमका में पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं सेवक बनकर काम करता हूं. काम का हिसाब मैं जनता के बीच में रखता हूं. आपकी सेवा और देश के सेवा के लिए यह समर्पण ही बाकी लोगों से काफी अलग पहचान बनाती हैं. जबकि जिन लोगों पर झारखंड के आदिवासियों ने भरोसा किया था वह अपनी भलाई कर लिए अपना और परिवार की भलाई और सत्ता के सिहासन पर बैठने के बाद आपको भूल गए.

नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करने वालों को दिया करारा जवाब

नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करने वालों को पीएम मोदी ने करारा जवाब दिया. कहा कि ऐसे लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा हैं तो वह आग लगा रहे हैं. यह आग लगाने वाले कौन हैं उनके कपड़े से ही पता चल जाता है. विरोध करने वाले जो कर रहे है उसको आप जो समर्थन दे रहे है और आंखे मूंद रहे हैं वह देश देख रहा है. देशवासियों का विश्वास पक्का हो रहा है. बीजेपी ने नागरिकता कानून को बनाकर देश को बचा लिया है. इसलिए जो कोशिशें की जा रही है वह बेकार साबित होगी. असम और नॉर्थ ईस्ट के भाईयों को मैं नमन करता हूं. ये लोग हिंसा के बदले शांति से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. विरोध करने वालों को अलग कर दिया है. 

कांग्रेसी लंदन में कर रहे विरोध

पीएम ने कहा कि एनआरसी, राममंदिर को लेकर पाकिस्तानियों ने लंदन भारतीय दुतावास के पास विरोध किया था. लेकिन पहली बार यही काम कांग्रेस वालों ने किया. इससे अधिक शर्म की बात देश के लिए क्या हो सकती हैं. क्या कोई अपने ही देश के खिलाफ कोई प्रदर्शन करता है. दुनिया में देश को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. 

आपकी अनुमति के बगैर भाजपा नहीं करती कोई काम

पीएम ने कहा कि भाजपा की सरकार आपसे पूछे बगैर, आपकी अनुमति के बगैर कोई भी कदम नहीं उठा सकती. जनहित, जनभावना और आपकी इच्छा ही हमारे लिए सर्वोपरि है. झारखंड के लोगों के लिए अपने आदिवासी भाइयों-बहनों के जीवन को आसान बनाने के लिए भाजपा के ये प्रयास हमारी नीयत और हमारे सेवाभाव के सबूत हैं. यही सेवाभाव आपके जल, जंगल और जमीन के अधिकार को सुरक्षित करने की गारंटी देता है. पहले सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह जाते थे क्योंकि सरकार और जनता के बीच बहुत बड़ी खाई थी. ये खाई राजनीति की थी, अफसरशाही की थी, भ्रष्टाचार की थी, असंवेदनशीलता की थी, लेकिन आपका ये सेवक इस खाई को पाटने में निरंतर जुटा है और इसमें अभूतपूर्व सफलता भी मिली है.