DESK : छठ पूजा के दूसरे दिन खरना के साथ 36 घंटे का व्रत शुरू हो गया. आज व्रती तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी. शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से भौतिक सुख, समृद्धि और संपदा प्राप्त होता है.
छठ पूजा को लेकर आम दिनों जो भीड़ फल मंडियों में होती थी वो आज कोरोना वायरस की वजह से बेहद कम दिखी. लोग पूजा के लिए आवश्यक सामग्री अपने आस पास के दुकानों से जुटाते दिखे. कहीं पर भीड़ इकठ्ठा न हो इसलिए पुलिस प्रशासन भी सड़कों पर और फल मंडी में मुस्तैद दिखा. लगातार माइकिंग कर लोगों को बेवजह भीड़ नहीं लगाने की अपील करते रहे. साथ ही खरीदारी के बाद घर वापस जाने की अपील की.
चैती छठ के चार दिवसयी अनुष्ठान के तीसरे दिन यानि आज संध्या अर्घ्य है.आज घरों में सुबह से ही काफी चहल पहल रहती है. घर के सभी लोग तैयारी में जुटे रहते है. पर इस बार ऐसा नहीं है. इस बार गंगा तट सुने है कोई भी गंगा तट पर अर्घ नहीं दे सकेगा. पवित्र नदी और सरोवर में स्नान कर भगवन भास्कर को अर्घ देने का विशेष महत्व है, पर लॉकडाउन की वजह से इस बार बहुत कम लोग इस पर्व को कर पा रहे है. जिन लोगों ने किया भी है वो अपने घर के छतों पर ही विशेष इंतजम करने में व्यस्त है.
छठ महापर्व में चार दिवसीय अनुष्ठान होता है. जिसके तीसरे दिन डूबते सूर्य को अघ्र्य प्रदान किया जाता है. भगवान सूर्य को अर्घ में मौसमी फल. आटे और सुध घी में बने हुए ठेकुआ को विशेष प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. अगले दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ दे कर 36 घंटे के व्रत को पूरा करते है. देवताओ में सूर्य ऐसे देवता हैं जिनको हम प्रत्यक्ष देख सकते है. सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन अकल्पनीय है. शाम को भगवान भास्कर को जल से अर्घ्य देने से मानसिक शांति और जीवन में उन्नति होती है.