DARBHANGA: कोरोना को लेकर राज्य सरकार सूबे में मरीजों की बेहतर चिकित्सा व्यवस्था का लाख दावा कर ले. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती हैं. wउत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के कोरोना वार्ड के रूम नं-15 में ऑक्सीजन के अभाव में एक मरीज ने दम तोड़ दिया. इसके बावजूद अस्पताल का कोई कर्मी उसे देखने तक नहीं आया. वहीं, इस घटना ने डीएमसीएच प्रशासन की बदतर चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है.
मधुबनी जिले के मधेपुर गांव के रहने वाले ओम प्रकाश गुप्ता कोरोना वायरस से संक्रमित होकर डीएमसीएच के कोरोना वार्ड में भर्ती थे. मृतक के बेटे दीपक कुमार ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने अपने पिता को सोमवार की रात करीब आठ बजे इलाज के लिए भर्ती कराया. उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. जिसको लेकर उन्हें छोटे सिलेंडर के जरिये ऑक्सीजन लगाया गया. इसके बाद वहां से सभी कर्मी बाहर निकल गये और यह भी नहीं देखा कि मरीज तक ऑक्सीजन पहुंच रहा है कि नहीं मिल रहा है.
कोई देखने तक नहीं आया
मृतक के बेटे दीपक कुमार ने कहा कि ऑक्सीजन लगाने के बावजूद मरीज की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. बल्कि उसकी स्थिति धीरे- धीरे और बिगड़ने लगी. लेकिन पूरी रात कोई झांकने तक नहीं आया और मरीजों को उसके हाल पर छोड़ दिया गया. उन्होंने संभावना व्यक्त कि छोटा ऑक्सीजन का सिलेंडर खाली था. जिसकी वजह से सुबह होते-होते उसकी स्थिति और नाजुक हो गयी और मंगलवार को करीब 11 बजे वह बेड से नीचे गिर गए. इसी दौरान उनकी मौत हो गई. लेकिन अस्पताल का कोई भी कर्मी उन्हे देखने तक नहीं आया. वहीं, मृतक के बेटे ने कहा कि वे दरभंगा और मधुबनी के डीएम से इस लापरवाही की लिखित शिकायत करेंगे.