GAYA : बिहार में बोधगया में 19वीं बार 3 दिवसीय कालच्रक पूजा का आयोजन आज से शुरू कर दिया गया है। इस पूजा के आयेजन में हिस्सा लेने दुनिया भर से बौद्ध धर्म के अनुयायी गया में जुटें हैं। इस पूजा की महत्ता बौद्ध धर्म के अनुयायी के बीच कितना है यह इस बात से समझा जा सकता है कि इस पूजा में खुद वर्तमान में बौद्ध धर्म के सबसे बड़े धर्म गुरु दलाई लामा हिस्सा ले रहे हैं।
इस तीन दिवसीय पूजा में बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा अपने अनुयायियों को जीवन के बुनियादी सिद्धांत बताएंगे। इस तीन दिनों के लिए विशेष शैक्षणिक सत्र होगा. जिसकी शुरुआत आज यानी गुरुवार से कालचक्र मैदान में दलाई लामा विश्व शांती की प्रार्थना के साथ करेंगे। यह प्रवचन सत्र सुबह 8 बजे से 11:30 बजे तक चलेगा। कालचक्र मैदान में अध्यात्म, दर्शन और विज्ञान का संगम होगा। इस पूजा को लेकर बोधगया में आस्था का सैलाब उमड़ चुका है। कई देशों के बोद्ध श्रद्धालुओं से बोधगया संगम स्थल बन गया है।
वहीं, गया में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच इस पूजा में शामिल होने के लिए और कालचक्र मैदान में आयोजित इस टीचिंग सत्र में प्रवेश करने वाले सभी को मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है और सुरक्षा कारणों से साथ में मोबाइल फोन के साथ ही किसी तरह के इलेक्ट्रानिक्स उपकरण, स्मार्ट वाच इत्यादि के साथ प्रवेश वर्जित कर दिया गया है।
टीचिंग के आयोजन समिति द्वारा श्रोताओं की सुविधा के लिए अलग-अलग 15 भाषाओं में अनुवाद कर इसे एफएम बैंड पर भी प्रसारित किये जाने का इंतजाम किया गया है। दलाई लामा की टीचिंग का 15 भाषाओं में वेबकास्ट भी किया जायेगा। इनमें तिब्बतन, चायनीज, वियतनामी, जापानी, हिंदी, कोरियन, रसियन, नेपाली, लद्दाखी, इटैलियन, पुर्तगाली व मंगोलियन भाषा शामिल हैं. इन्हें एफएम बैंड के अलग-अलग मेगाहर्ट्ज पर सुना जा सकेगा। हालांकि, यह सुविधा कालचक्र मैदान क्षेत्र में ही उपलब्ध करायी गयी है। इसे मोबाइल फोन के माध्यम से भी सुना जा सकेगा।