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1st Bihar Published by: Updated Sun, 20 Jun 2021 11:22:47 AM IST
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DELHI : देश में कोरोना से हुई मौतों के बाद मृतक के परिवार वालों को मुआवजा देने का मामला अब अटक सकता है. मृतक के परिवार वालों को 4 लाख रुपये मुआवजा देने में केंद्र सरकार ने असमर्थता जताई है. सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने एक हलफनामे के जरिए बताया है कि अगर राज्यों को हर मृत्यु के लिए चार लाख रुपये के भुगतान का निर्देश दिया गया तो उनका पूरा खजाना ही खाली हो जाएगा. दरअसल, राज्यों के पास स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड यानी एसडीआरएफ से मुआवजे का भुगतान होता है. ऐसे में अगर सभी मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख दिए गए तो यह फंड ही खत्म हो जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दिया है, उसके मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में राज्यों को 22,184 करोड़ रूपए एसडीआरएफ फंड में दिए गए. इसका एक बड़ा हिस्सा कोरोना से निपटने में खर्च किया जा रहा है. सरकार ने बताया कि 1.75 लाख करोड़ का प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज घोषित किया गया है इसमें गरीबों को मुफ्त राशन और अन्य तरह की मदद की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने बताया है कि मौजूदा वक्त में केंद्र और राज्यों को राजस्व का नुकसान हुआ है. राजस्व की प्राप्ति भी कम हो गई है. ऐसे में कोरोना से लगभग 4 लाख मौतों के मामले में सभी को 4-4 लाख मुआवजा देना बहुत मुश्किल काम है.
मुआवजे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए 10 दिन का वक्त दिया था. 21 जून को अगली सुनवाई की बात कही थी. लेकिन उससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से दायर हलफनामे को लेकर अब कोरोना से मरने वाले लोगों के मृतकों को आर्थिक मदद पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में दो वकीलों गौरव कुमार बंसल और दीपक कंसल की तरफ से एक याचिका दाखिल की गई थी. इसमें कहा गया था कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 12 में आपदा से मरने वाले लोगों के लिए सरकारी मुआवजे का प्रावधान है. इस साल केंद्र ने सभी राज्यों को कोरोना से मरने वालों को 4 लाख रुपये मुआवजा देने को कहा था लेकिन इस साल ऐसा नहीं किया गया.
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि अस्पताल से मृतकों को सीधा अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया. ना तो उनका पोस्टमार्टम होता है और ना ही डेथ सर्टिफिकेट में लिखा जाता है कि मौत की वजह कोरोना है, ऐसे में अगर मुआवजे के लिए क्लेम किया जाए तो कैसे. इस मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था और अब केंद्र की तरफ से हलफनामा दिया गया है.