कोरोना ने नीतीश सरकार को दी सियासी राहत, तेजस्वी का अभियान रुका.. जिलों का दौरा स्थगित

कोरोना ने नीतीश सरकार को दी सियासी राहत, तेजस्वी का अभियान रुका.. जिलों का दौरा स्थगित

PATNA : कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने भले ही राज्य सरकार का संकट बढ़ाया हो लेकिन नीतीश सरकार को सियासी तौर पर इससे राहत मिली है। कोरोना की तेज लहर ने विपक्ष के अभियान को झटका दिया है। कोरोना ने विपक्ष के सत्ता पक्ष के खिलाफ जमीनी अभियान को बहुत सुस्त कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जिलों का दौरा करने वाले थे जो फिलहाल टल गया है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का प्रखंडों में धरना और प्रदर्शन कार्यक्रम भी स्थगित हो गया है। राज्य के दोनों मुख्य विपक्षी दलों आरजेडी और कांग्रेस ने अपने जिला और प्रखंड कमेटियों को कोरोना प्रोटोकॉल को देखते हुए किसी भी तरह के कार्यक्रम अगले आदेश तक नहीं करने का निर्देश दे दिया है. बढ़ते संक्रमण के कारण आरजेडी कार्यालय में ताला लटक गया है तो वहीं कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में बिना तालाबंदी के ही बड़े नेताओं ने आना-जाना छोड़ दिया है। 


मधुबनी दौरे पर जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी दिल्ली वापस लौट चुके हैं। फिलहाल पार्टी के अंदर कोई गतिविधि नहीं चल रही है। जगदानंद सिंह ने पार्टी की तमाम बैठकों को स्थगित कर दिया है। 14 अप्रैल को बाबा साहब की जयंती के मौके पर एक छोटा कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है। इसमें पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं के साथ बेहद कम संख्या में पदाधिकारी शामिल होंगे। विधानसभा सत्र के दौरान विपक्षी विधायकों की पिटाई समेत अन्य मुद्दों को लेकर तेजस्वी यादव सरकार के खिलाफ जिला स्तर पर दौरा करने वाले थे लेकिन कोरोना ने इस पर ग्रहण लगा दिया। 


उधर बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा और बिहार प्रभारी भक्त चरण दास के कोरोना संक्रमित होने के बाद वहां भी सभी कार्यक्रम स्थगित है। आरजेडी कार्यालय की तरह सदाकत आश्रम में ताला तो नहीं बंद है लेकिन गतिविधियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। हालांकि मुख्यालय में तालाबंदी नहीं होने से हर दिन दो दर्जन से अधिक कार्यालय स्टाफ अभी आते हैं और दिनभर रहने के बाद वापस चले जाते हैं। पार्टी के प्रदेश राष्ट्रीय प्रभारी भक्त चरण दास, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा, विधायक राजेश कुमार समेत कुछ और नेता कोरोना पीड़ित होकर होम आइसोलेशन में हैं। वहीं अन्य विधायकों और विधान पार्षदों ने तो कार्यालय आना छोड़ ही दिया है। ऐसे में दोनों विपक्षी दलों के जमीनी अभियान के स्थगित होने से अब सत्ता पक्ष को राहत मिली है। हालांकि सोशल मीडिया के जरिये एक दूसरे पर वार-पलटवार जारी है।