PATNA : बिहार में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण देखते हुए केंद्र ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है। बिहार दौरे से लौटी केंद्रीय टीम ने जो रिपोर्ट केंद्र सरकार को दी है उसमें बिहार के अंदर डेथ रेशियो यानी मृत्युदर बढ़ने की आशंका जताई गई है। केंद्रीय टीम ने माना है कि बिहार में कोरोना जांच की रफ्तार सबसे धीमी है। भारत के अंदर सबसे कम कोरोना टेस्ट बिहार के अंदर हुए हैं जिसकी वजह से यहाँ मृत्यु दर महज 0.69 फ़ीसदी है। अगर टेस्ट की रफ्तार आगे नहीं बढ़ाई गई तो संक्रमण बेहद खतरनाक असर पर फैल सकता है।
जांच की धीमी रफ्तार और कोरोना का बहता संक्रमण मृत्यु दर में अचानक से उछाल ला सकता है और यह बात बिहार को भारी पड़ सकती है। केंद्रीय टीम में शामिल केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के निदेशक डॉ एस के सिंह और एम्स दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ नीरज निश्चल शामिल थे। इन तीनों ने 19 और 20 जुलाई को बिहार में कोरोना संक्रमण के हालात का जायजा लिया था। पटना से लेकर गया तक के कंटेनमेंट जोन का निरीक्षण किया था। पटना के एनएमसीएच में जांच की रफ्तार और कोरोना मरीजों के ट्रीटमेंट को लेकर विस्तार से जानकारी ली थी।
केंद्रीय टीम ने बिहार को लेकर जो चेतावनी जारी की है उसमें आरटी पीसीआर टेस्ट बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। केंद्रीय टीम के मुताबिक राज्य में कोरोना की पुष्टि के लिए आरटी पीसीआर टेस्ट बढ़ाए जाने का सुझाव दिया है। आईसीएमआर ने बिहार में आरटी पीसीआर टेस्ट करने के लिए 6 सरकारी और 3 निजी लैब्स को मंजूरी दी है। केंद्रीय टीम ने बिहार में तेजी से उभरते हुए हॉटस्पॉट की तरफ भी इंडिकेट किया है जिसमें पूर्वी चंपारण, गया, रोहतास, मुजफ्फरपुर को उभरता हुआ हॉटस्पॉट बताया गया है। वहीं मौजूदा वक्त में पटना, नालंदा, नवादा, सिवान, पश्चिम चंपारण, जमुई, भागलपुर, बेगूसराय और मुंगेर में खास अलर्ट रखने को कहा गया है। केंद्रीय टीम की रिपोर्ट में राज्य के अंदर स्वास्थ्य सेवाओं को और मुस्तैद करने मरीजों को सही तरीके से ट्रीटमेंट देने पर फोकस करने की बात कही गई है। इसके अलावे एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों के माध्यम से अब बिहार के डॉक्टरों का ट्रेनिंग सेशन कराए जाने की भी बात कही गई है। रिपोर्ट में एक हफ्ते के अंदर बिहार में आ रहे कोरोना वायरस के मामलों को देखते हुए आगे बेहद सावधानी बरतने की बात कही गई है। केंद्रीय टीम ने कहा है कि कंटेनमेंट जोन में हर घर के अंदर कोरोना मरीजों की स्क्रीनिंग करने और फिर एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले पूरे डाटा को क्रॉस चेक करने पर फोकस दिए जाने की बात कही है।