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1st Bihar Published by: Updated Mon, 13 Apr 2020 08:20:24 AM IST
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DESK : पूरी दुनिया में कहर बरपा रही कोरोना वायरस के खतरे के बीच कई ऐसे वाकये सामने आ रहे हैं जिससे दिल दहल जा रहा है. मुंबई से 1600 किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर लौटने वाले एक युवक के साथ ऐसा ही हुआ. वह अपने घर के गेट तक तो पहुंच गया लेकिन मां ने दरवाजा खोलने से इंकार कर दिया.
बनारस का है मामला
बनारस का रहने वाले एक युवक मुंबई के होटल में काम कर रहा था. लॉक डाउन हुआ तो होटल बंद हो गया. युवक ने अपने पांच साथियों के साथ घर लौटने की ठान ली. पैदल चलता हुआ 1600 किलोमीटर की दूरी तय कर वह युवक अपने घर बनारस पहुंच गया. लेकिन घर के दरवाजे पर दस्तक दी तो परिवार वालों ने दरवाजा खोलने से मना कर दिया.
बनारस के सबसे बड़े किराना मंडी गोला दीनानाथ इलाके का रहने वाला 25 साल का अशोक चार महीने पहले रोजी रोटी की तलाश में मुंबई गया था. मुंबई के नागपाड़ा इलाके के एक होटल में उसे काम मिला. लेकिन लॉकडाउन के दौरान होटल बंद हो गया. इसके बाद होटल मालिक ने उसे खाना-पीना देने से मना कर दिया. अशोक के साथ बनारस और पड़ोस के जिले चंदौली के पांच और युवक वहीं काम कर रहे थे. उन सभी ने पैदल ही घर जाने की ठानी और मुंबई से निकल गये. लगातार सात दिनों तक पैदल चलने के बाद वे सभी बनारस पहुंच गये.
मां और भाई ने दरवाजा नहीं खोला
हमारे संवाददाता ने जब अशोक से बात की उसने बताया कि रामनगर और मुगलसराय में रहने वाले उसके दोस्त अपने घर चले गए. इसके बाद अशोक जब अपने घर पहुंचा तो कोरोना वायरस फैलने के डर से मां-भाई ने दरवाजा खोलने से इंकार कर दिया. बुरी तरह थका हारा अशोक काफी देर तक दरवाजे पर बैठा रहा लेकिन परिजनों का दिल नहीं पसीजा. बाद में मोहल्ले के लोगों ने उसे अस्पताल जाकर जांच कराने की सलाह दी.
बुरी तरह थका अशोक अपने घर से कुछ दूर पर स्थित कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में पहुंचा लेकिन वहां जांच की कोई व्यवस्था नहीं थी. परेशान अशोक सड़क पर जार-जार रोने लगा. पड़ोस के एक व्यक्ति का दिल पसीजा तो उसने अपनी कार से अशोक को बनारस के दीनदयाल अस्पताल पहुंचाया जहां कोरान वायरस की जांच की सुविधा है. डॉक्टरों ने जांच में उसमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं पाये लेकिन फिर भी उसे 14 दिनों तक घर में अकेले रहने को कहा.
ननिहाल में भी दरवाजा नहीं खोला गया
अस्पताल से जांच के बाद अशोक फिर से अपने घऱ पहुंचा. उसने डॉक्टर का पूर्जा भी दिखाया लेकिन फिर भी किसी ने दरवाजा नहीं खोला. थका हारा अशोक मोहल्ले में घूम घूम कर रोता रहा. बाद में उसे अपने ननिहाल की याद आयी. बनारस के कतुआपुरा में ही उसका ननिहाल है. लेकिन बचपन से उसे दुलारने वाली नानी और मामा-मामी ने भी घर के दरवाजे नहीं खोले. हताश अशोक वापस फिर से अपने मोहल्ले में चला आया.
देर शाम पुलिस ने घर में एंट्री दिलवायी
इस बीच मामले की खबर पुलिस को दी गयी. पुलिस टीम वहां पहुंची और अशोक के घरवालों से बात की. लेकिन फिर भी वे दरवाजा खोलने को तैयार नहीं हुए. बाद में पुलिस ने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी. इसके बाद उसके परिजन घर का दरवाजा खोलने पर राजी हुए. अशोक ने बताया कि उसे घऱ के एक कमरे में पुलिस ने रखवाया है लेकिन घर में उससे कोई बात करने तक को तैयार नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से उसे मास्क समेत दूसरी चीजें दी गयी हैं, जिससे वो 14 दिनों तक आइसोलेशन में रह सके.