ARRAH: आरा सदर अस्पताल में दलालों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां आने वाले मरीजों को बहला-फुसलाकर ये लोग प्राइवेट नर्सिंग होम में ले जाते हैं। प्राइवेट अस्पताल में लाई गई 5 साल की बच्ची की मौत हो गयी। जिसके बाद परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा मचाया। कमीशन खाने के चक्कर में आरा सदर अस्पताल में बैठे दलालों ने 5 साल की बच्ची की जान ले ली। बच्ची को पटना रेफर किया गया था लेकिन उसे वहां जाने नहीं दिया गया। आरा में ही प्राइवेट क्लिनिक में ले जाकर उसे भर्ती करवा दिया गया वो भी उस अस्पताल में जो कि रजिस्टर्ड तक नहीं है।
बिहार का पहला मॉडल सदर अस्पताल आरा में बनकर तैयार हो चुका है। जिसका उद्घाटन बिहार के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने फीता काटकर बीते सप्ताह किया था हालांकि उद्घाटन के बाद से ही अस्पताल में कोई काम नहीं हो रहा है। इस अस्पताल में ताला बंद है। लेकिन मॉडल सदर अस्पताल के बगल में पुराने इमरजेंसी वार्ड में दलालों का जमावड़ा लगा रहता है। अगर कोई मरीज गांव या कही दूर से आता है तो आरा सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मौजूद डॉक्टर मरीज की गंभीर हालत को देखते ही पटना रेफर कर देती है। रेफर किये जाने के बाद वहां मौजूद दलाल मरीज के परिजनों के पीछे लग जाते है।
अस्पताल के कुछ कर्मियों और दलालों की मिलीभगत से मरीज को पटना ना ले जाकर आरा के निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया जाता है। वह भी ऐसे अस्पताल में जो रजिस्ट्रर्ड नहीं होता है। ऐसी स्थिति में मरीजों के साथ अस्पताल वाले मनमाना पैसा वसूलते है। आज ऐसा ही एक मामला फिर आरा में देखने को मिला। जहां एक निजी क्लीनिक में इलाज के दौरान 5 वर्षीय मासूम बच्ची की मौत हो गई। जिसके बाद परिजन आक्रोशित हो गए और निजी क्लीनिक के डॉक्टर व कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए आरा के महावीर टोला में शव के साथ बीच सड़क पर बैठ गये। जिससे यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया।
घटना की सूचना मिलते ही नगर थानाध्यक्ष संजीव कुमार दल बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और मृतक बच्ची के परिजनों को समझाने बुझाने की कोशिश करने लगे। घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि नवादा थाना क्षेत्र के जवाहर टोला निवासी अजय कुमार की 5 वर्षीय पुत्री शिवानी कुमारी की गुरुवार की रात तबीयत बिगड़ गयी थी। जिसके बाद उसे इलाज के लिए आरा सदर अस्पताल ले जाया गया था। लेकिन उसकी गंभीर हालत को देखते हुए चिकित्सक ने पटना रेफर कर दिया। लेकिन परिजन अस्पताल परिसर में मौजूद दलालों के चंगुल में फंस गये।
दलाल ने महावीर टोला स्थित निजी अस्पताल में मरीज को भर्ती करा दिया। निजी अस्पताल के कंपाउंडर ने परिजनों से इलाज के नाम पर आठ हजार रुपये जमा भी करा लिया। परिजनों द्वारा बच्ची की तबीयत कैसी है यह पूछने पर कंपाउंडर बार-बार यही कहता था कि बच्ची पहले से बिल्कुल ठीक है। 24 घंटे के अंदर सही सलामत घर चली जाएगी लेकिन इसी बीच शुक्रवार की देर रात उसकी मौत हो गई।
जैसे ही बच्ची की मौत की जानकारी उसके परिजनों को मिली। परिजनों ने निजी क्लीनिक के स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे। आक्रोशित लोगों ने मुख्य सड़क को घंटो जाम कर दिया। जिससे यातायात बुरी तरह से बाधित हो गया। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को समझा-बुझाकर जाम हटवाया। परिजन प्राइवेट क्लिनिक पर कार्रवाई किये जाने की मांग कर रहे थे।
बच्ची की मौत का कारण वहां के डॉक्टर और कर्मचारियों की लापरवाही को बताया। अब सवाल यह उठता है कि जब मॉडल सदर अस्पताल आरा में बनकर तैयार हो गया। इसका उद्घाटन भी स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने कर दिया है तब फिर यहां इलाज अब तक क्यों नहीं शुरू हो पाया है। यहां इलाज शुरू होता तो आखिर बच्ची को पटना रेफर करने की नौबत नहीं आती और ना ही वो दलालों के चंगुल में फंसती। आरा के नए मॉडल सदर अस्पताल में उसका इलाज होता तो आज शायद वो जीवित होती। सरकार को आरा सदर अस्पताल परिसर के दलालों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और बिना रजिस्टर्ड क्लिनिक को सील करना चाहिए ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृति ना हो सके।