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1st Bihar Published by: Updated Mon, 14 Jun 2021 08:22:27 PM IST
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DELHI : ज्यादा दिन पुरानी बात नहीं है जब लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान कहते थे कि अगर उनके सीने को चीर दिया जाये तो उसमें नरेंद्र मोदी की तस्वीर नजर आयेगी. चिराग पासवान ने खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान घोषित कर दिया था. 6 महीने के भीतर ही ‘राम’ की सेना ने ‘हनुमान’ को निपटाने की पटकथा रच दी. लोजपा में हुए घटनाक्रम के बाद अगर आप ये समझ रहे हैं कि ये नीतीश कुमार का खेल है तो आप भूल कर रहे हैं. असली खेल तो बीजेपी का है, पढ़िये इनसाइड स्टोरी.
बीजेपी ने किया खेल
वैसे बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से ही नीतीश कुमार हर हाल में चिराग पासवान को निपटाने की कवायद में लगे थे. तभी लोजपा के बिहार में एकमात्र विधायक राज कुमार सिंह को जेडीयू में शामिल कराया गया. लेकिन लोजपा के सांसदों पर नीतीश कुमार का बहुत ज्यादा जोर नहीं चल रहा था. जेडीयू सूत्रों की मानें तो बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान ही नीतीश कुमार ने लोजपा के सांसदों को तोड़ने की पूरी कोशिश की थी. लेकिन सिर्फ एक सांसद वीणा देवी तक ही कोशिशें सिमट जा रही थी.
सियासी जानकार बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद बौखलाये नीतीश कुमार ने फिर कोशिश की. लेकिन फिर भी बात नहीं बन रही थी. मामला पशुपति पारस औऱ प्रिंस राज पर जाकर अटक जा रहा था. दोनों चिराग पासवान को छोड़कर नीतीश कुमार के साथ जाने को तैयार नहीं थे. वहीं बेटे को राजद से विधायक बनवा चुके लोजपा सांसद महबूब अली कैसर को भी नीतीश से कोई खास फायदा मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही थी. नीतीश के सिपाहसलार ले दे कर वीणा देवी और सूरजभान के सांसद भाई चंदन सिंह तक सिमट कर रह जा रहे थे. लेकिन लोजपा में किसी भी टूट के लिए कम से कम चार सांसदों की दरकार थी और वह तब तक पूरी नहीं होती जब तक चिराग के घर में सेंध नहीं लगती यानि पशुपति पारस औऱ प्रिंस राज टूटकर नहीं आते.
बीजेपी मानी तब बनी बात
जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार बीजेपी पर भी लगातार दवाब बना रहे थे कि वह लोजपा को तोड़ने में मदद करे. बीजेपी पिछले सप्ताह मानी. इसमें सबसे अहम रोल बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने निभाया. लोजपा के एक सांसद ने बताया कि बीजेपी के बड़े नेताओं से बात करने के बाद ही उन्होंने स्टैंड बदला. उनके मुताबिक पशुपति पारस भी तभी मानें जब उन्हें मंत्री पद का लॉलीपॉप दिखाया गया. पिछले सप्ताह ये चर्चा गर्म हुई कि नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होने जा रहा है. चर्चा ये भी हुई कि चिराग पासवान को मंत्री बनाया जा सकता है. लेकिन अंदरखाने अलग खेल चल रहा था.
जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार के सिपाहसलारों ने पशुपति कुमार पारस की बीजेपी के एक बड़े नेता से मुलाकात करायी. बीजेपी के नेता ने आश्वासन दिया कि अगर वे लोजपा में कोई ठोस खेल करते हैं तो उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री पद से नवाजा जा सकता है. जानकार बता रहे हैं कि पारस को ये भी आश्वासन मिला कि अगले लोकसभा चुनाव में उनके बेटे को हाजीपुर से चुनाव लडाया जायेगा. वैसे भी पारस पहले से ही पार्टी में किनारे लगाये जाने के कारण चिराग से नाराज बैठे थे. बीजेपी के डबल ऑफर ने उनके बचे खुचे सब्र को तोड़ दिया. पारस ने प्रिंस राज को मैनेज किया जो दिल्ली में पारस के साथ एक ही घर में रहते हैं.
लोजपा में चिराग पासवान विरोधी धडे से जुड़े लोग बता रहे हैं कि लॉलीपॉप महबूब अली कैसर को भी मिला. उन्हें फिर से हज कमेटी का अध्यक्ष बनाने का आश्वासन मिला है. पार्टी के बाकी दो सांसद वीणा देवी औऱ चंदन सिंह नीतीश कुमार के लेवल पर मैनेज हो गये. वीणा सिंह के पति दिनेश सिंह जेडीयू के विधान पार्षद हैं लेकिन उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. दिनेश सिंह स्थानीय निकाय कोटे से विधान पार्षद हैं और उनका चुनाव सामने हैं. उनकी जेडीयू में उनकी वापसी के साथ साथ कारोबार में राजकृपा हासिल होने का आश्वासन मिलने की चर्चा आम है. वहीं चंदन सिंह की डीलिंग उनके भाई सूरजभान ने की. वे नीतीश कुमार के स्तर पर मिले आश्वासन से ही मान गये.
आनन फानन में कैसे लिया गया फैसला
लोक जनशक्ति पार्टी में खेल रविवार को खेला गया. टाइमिंग देखिये पारस खेमे ने जो कागजात बनाये हैं उनके ही मुताबिक 6 बजे शाम में सांसद वीणा देवी के घर पर लोजपा सांसदों की बैठक हुई जिसमें पारस को संसदीय दल का नेता चुना गया और फिर साढ़े 8 बजे लोकसभा अध्यक्ष के घर पर वो कागजात भी सौंप दिया गया. सियासी जानकार ये जानते हैं कि रविवार के दिन लोकसभा अध्यक्ष को रात में घर पर मिलकर पारस कैंप से कागज लेने के लिए कौन राजी कर सकता है. कोई ऐसी आपातकालीन स्थिति नहीं थी जिसमें लोकसभा अध्यक्ष के लिए अपने घर पर रात में कागज लेने की मजबूरी थी. लेकिन खेल तो बीजेपी खेल रही थी ऐसे में लोकसभा अध्यक्ष का रात में कागज लेने के लिए तैयार हो जाना अजूबा नहीं था.
जानकार बता रहे हैं कि लोजपा के पांचों सांसद जब लोकसभा अध्यक्ष को अपना दावा पेश करने पहुंचे तो वहां बीजेपी के दो नेता भूपेंद्र यादव औऱ संजय जायसवाल पहले से मौजूद थे. दोनों की मौजूदगी में ही कागज सौंपा गया. ये दीगर बात है कि जो तस्वीर खिंचवायी गयी उसमें सिर्फ लोजपा सांसद ही दिखे.वैसे लोजपा सांसदों के साथ जेडीयू के ललन सिंह भी लोकसभा अध्यक्ष के घर पहुंचे थे.
चिराग से हुई चूक
दरअसल चिराग पासवान की सबसे बडी चूक बीजेपी पर भरोसा करना रहा. चिराग पासवान के करीबी बताते हैं कि वे बंद कमरे की बातचीत में भी ये मानने को तैयार नहीं होते थे कि नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोडी उनके साथ कोई खेल कर सकती है. चिराग पासवान 2014 के उस दौर की भी बात करते थे जब नरेंद्र मोदी के खिलाफ नीतीश कुमार ने मोर्चा खोल दिया था तो चिराग अपने पिता रामविलास पासवान को लेकर नरेंद्र मोदी के पास गये थे. उन्हें लगता था कि नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोडी उस दौर को नहीं भूली होगी. लेकिन जब बीजेपी ने ही खेल कर दिया तो सियासी मौसम का अंदाजा लगा पाना चिराग पासवान के लिए संभव नहीं रह गया.