BPSC पास फर्जी शिक्षिका बेगूसराय से गिरफ्तार, बायोमेट्रिक जांच में पकड़ी गई

BPSC पास फर्जी शिक्षिका बेगूसराय से गिरफ्तार, बायोमेट्रिक जांच में पकड़ी गई

BEGUSARAI: बिहार में बीपीएससी द्वारा पहले चरण की शिक्षक नियुक्ति में बहाल हुए करीब एक लाख शिक्षकों में कई फर्जी तरीके से टीचर बन बैठे हैं। शिक्षा विभाग को इसकी शिकायतें मिली है, इसके बाद विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बड़ा आदेश दिया है। अब हरेक शिक्षक की ऐसी जांच करायी जा रही है कि कोई फर्जी शिक्षक काम पर नहीं रह पाये। बेगूसराय जिला शिक्षा कार्यालय में चल रहे बायोमेट्रिक जांच के दौरान ही आज फर्जी शिक्षिका नुमा कुमारी पकड़ी गयी। 


बेगूसराय में BPSC परीक्षा पास फर्जी शिक्षिका को गिरफ्तार किया गया है। बायोमेट्रिक जांच के दौरान महिला शिक्षिका फर्जी पाई गई। बता दें कि दो महीने पहले भगवानपुर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय रघुनंदनपुर में महिला शिक्षिका नुमा कुमारी की तैनाती हुई थी। जो मुंगेर जिले के बरियारपुर की रहने वाली है। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची नगर थाने की पुलिस ने फर्जी शिक्षिका को गिरफ्तार कर लिया। जिला पदाधिकारी के आदेश पर शिक्षा पदाधिकारी ने यह कार्रवाई की है। फर्जी शिक्षिका के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर किया गया है।



बेगूसराय में बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक नियुक्ति परीक्षा टीआरई-1 में उत्तीर्ण होने के बाद विद्यालय में फर्जी तरीके से बहाल एक शिक्षिका को आज बायोमेट्रिक जांच के दौरान पकड़ लिया गया। फर्जीवाड़े में पकड़ी गई शिक्षिका नुमा कुमारी मुंगेर जिले के बरियारपुर की रहने वाली है। वह भगवानपुर प्रखंड के रघुनंदनपुर प्राथमिक विद्यालय पर योगदान कर पढ़ा रही थी। प्रथम चरण में नियुक्त शिक्षकों के लिए चल रहे जांच के दौरान उसे पकड़ा गया। जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में चल रहे वेरिफिकेशन के दौरान फोटो नहीं मिलने पर संदेह के आधार पर पकड़ा गया। फिंगरप्रिंट का भी मिलन नहीं होने पर डीएम को इसकी सूचना दी गई। डीएम के आदेश पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। 


प्रतिनियुक्त मजिस्ट्रेट  फरमान दानिश ने बताया कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के आदेश पर बीपीएससी द्वारा प्रथम चरण में नियुक्त शिक्षकों का वेरिफिकेशन चल रहा था। इसी दौरान नुमा कुमारी का फोटो एवं बायोमेट्रिक मिलान नहीं हो सका। इसके बाद डीएम के आदेश पर नुमा कुमारी को नगर थाना के हवाले कर दिया गया है फिलहाल आगे की कार्रवाई की जा रही है। 


दरअसल, शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे एक लाख से भी ज्यादा शिक्षकों के अंगूठे के निशान यानि थम इंप्रेशन का मिलान शुरू कर दिया है. ये वैसे शिक्षक हैं जो बिहार लोक सेवा आयोग यानि बीपीएससी की ओर से की गयी पहले चरण की शिक्षक नियुक्ति में बहाल हुए हैं. पहले चरण में नियुक्त हुए सभी शिक्षकों के थम इंप्रेशन के मिलान का शुरू कर दिया गया है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर शिक्षकों को जिला मुख्यालय में ले जाकर अंगूठे के निशान का मिलान कराया जा रहा है.


शिक्षा विभाग ये सुनिश्चित करने में लगा है कि वही शिक्षक नियुक्त हुए हैं, जिन्होंने बीपीएससी की परीक्षा दी थी. इसके लिए बीपीएससी से अभ्यर्थियों के अंगूठे के निशान मांगे गये हैं जो परीक्षा केंद्र पर लिये गये थे. बीपीएससी से जो डेटा हासिल हुआ है उससे शिक्षकों के अंगूठे का मिलान कराया जा रहा है. पहले चरण में बीपीएससी से करीब एक लाख दो हजार शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. उन सभी के अंगूठे का निशान मिल चुका है.


फर्जीवाड़े की शिकायत के बाद कार्रवाई

दरअसल, शिक्षा विभाग को शिकायत मिली थी कि कई लोगों ने फर्जी नियुक्ति-पत्र बनवा लिया है और फर्जी नाम से स्कूलों में योगदान दे दिया है. इसके बाद अंगूठे के निशान का मिलान कराया जा रहा है. शिक्षा विभाग ने अंगूठे के निशान के मिलान के दौरान संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापकों को मौजूद रहने को कहा है. प्रधानाध्यापक ये बतायेंगे कि यही शिक्षक उनके स्कूल में पिछले एक महीने से पढ़ा रहे हैं. हर जिले में ये काम शुरू कर दिया गया है और शिक्षा विभाग के स्तर पर इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. 


शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पहले विभाग ने करीब चार हजार शिक्षकों को दोबारा कागजातों की जांच कराई थी. इसमें तीन फर्जी शिक्षकों को पकड़ा गया था. वहीं तीन शिक्षक भाग खड़े हुए. इन मामलों में प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी थी. इसके बाद विभाग को ये लगा कि और भी फर्जी शिक्षक काम कर रहे होंगे. उसके बाद ये सुनिश्चित करने की प्रक्रिया शुरू की गयी कि बीपीएससी की परीक्षा में जो अभ्यर्थी परीक्षा देकर सफल हुए थे, वही नियुक्ति पत्र लेकर स्कूलों में पढ़ा रहे हैं. फर्जीवाड़े को रोकने के लिए शिक्षा विभाग पहले और दूसरे चरण के शिक्षकों के आधार कार्ड का भी सत्यापन करा रहा है. बता दें कि पहले चरण में एक लाख 20 हजार 336 शिक्षक चुने गये थे, उनमें से लगभग एक लाख दो हजार ने योगदान किया है.