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बिहार : यूनिवर्सिटी की PhD एंट्रेंस एग्जाम में बड़ा खेल, सेम टू सेम पूछे गए 4 साल पहले वाले क्वेश्चन; ऑप्शन तक नहीं बदला

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 06 Jun 2023 09:58:41 AM IST

बिहार : यूनिवर्सिटी की PhD एंट्रेंस एग्जाम में बड़ा खेल, सेम टू सेम पूछे गए 4 साल पहले वाले क्वेश्चन; ऑप्शन तक नहीं बदला

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MUZAFFARPUR : भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय में रविवार को पीएचडी एडमिशन टेस्ट में बड़ा खेल सामने आया है। यहां एडमिशन टेस्ट में वही सवाल पूछे गए जो पैट - 2019 में थे। सबसे बड़ी बात है कि क्वेश्चन के ऑप्शन तक को नहीं बदला गया था। वहीं, इससे परीक्षा के सफलतापूर्वक आयोजन को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। 


दरसअल, भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय में 2019 में भी पीएचडी एडमिशन टेस्ट का आयोजन किया गया था। इसके बाद अब बीते कल भी इसका आयोजन करवाया गया था। इस परीक्षा के सवालों को जब 2019 में आयोजित परीक्षा के सवालों से मिलाया गया तो प्रश्न पत्र के क्रम का 21 नंबर से 50 नंबर तक इस बार के पैट के सीरियल नंबर एक से तीस तक लगातार है। बस दोनों के नंबर बदल दिए गए हैं। इसके ऑप्शन तक को नहीं बदला गया। इसके आलावा पैट-2021 की एक सीरीज में जो प्रश्न 31 नंबर पर है 2019 की परीक्षा में वह प्रश्न एक नंबर पर पूछा गया था। इसके बाद 50 तक का क्रम लगातार सभी प्रश्नों का एक समान है। 


वहीं, इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि ऐसा नहीं हो सकता कि सौ प्रतिशत प्रश्न हूबहू पूछे गए हों। एक या दो सवालों को वापस से पूछा जा सकता है। लेकिन, सवालों को मिलाने पर बात कुछ और निकल रही है। सबसे बड़ी बात है कि कोई भी विश्वविद्यालय ने प्रश्नपत्र सेट करने के लिए एक एजेंसी को जिम्मा देती है। ऐसे में एक साथ सभी प्रश्नों का मिल जाना उस एजेंसी पर भी सवाल खड़ा कर रहा है। 


इधर, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी से ने इस मुद्दे पर कहा कि चार वर्ष बाद परीक्षा हुई है तो कुछ प्रश्नों का मिल जाना स्वाभाविक है। सौ प्रतिशत प्रश्नों के मिलने की बात से मैं संतुष्ट नहीं हैं। परीक्षा पूरी तरह कदाचारमुक्त माहौल में ली गई है। इस कारण 40 प्रतिशत से अधिक परीक्षार्थी केंद्र से बिना परीक्षा दिए लौट गए हैं। एक ही पैटर्न होने के कारण कुछ प्रश्न एक समान हो सकते हैं। प्रश्न पत्र को सेट करने का जिम्मा एजेंसी को दिया गया था। ऐसे में यह बात संदेहपूर्ण है कि सौ प्रतिशत प्रश्न दोहराया गया हो। यदि सौ प्रतिशत प्रश्नों की बात सत्य होती है तो इसकी जांच कराएंगे।