PATNA : बिहार में पंचायत चुनाव को लेकर दो चरण की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है. पंचायत चुनाव अगले कुछ महीनों तक जारी रहेगा लेकिन इस दौरान जो नई बात सामने आई है वह पुराने मुखिया जी लोगों को परेशान कर सकती है. दरअसल पंचायत चुनाव में अब तक आए नतीजे यह बता रहे हैं कि पुराने मुखिया जी जनता को रास नहीं आ रहे. गांव की सरकार चुनने वाले वोटर नए चेहरों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. पटना के पालीगंज प्रखंड की 23 पंचायतों के लिए चुनाव 29 सितंबर को हुए थे. शुक्रवार को मतगणना पूरी कर ली गई और नतीजे भी सामने आ गए. लेकिन इस दौरान मुखिया जी लोगों को बड़ा झटका लगा है.
पालीगंज प्रखंड में जीत हासिल करने वाले 19 नए चेहरे शामिल हैं. जबकि पुराने मुखिया जी के केवल 4 चेहरों को ही जीत हासिल हुई है. जिला परिषद के 4 सीटों के चुनाव हुए जिसमें 3 नए चेहरों ने जीत हासिल की. पुराने चेहरों में केवल एक उम्मीदवार को ही जीत मिली है. पटना जिले के अलावे दूसरे जिलों में भी लगभग ऐसे ही नतीजे सामने आ रहे हैं.
गया के टिकारी प्रखंड में 22 और गुरारू प्रखंड में 12 पंचायतों के लिए नतीजे सामने आ चुके हैं. इसमें ज्यादातर मौजूदा मुखिया अपनी सीट नहीं बचा पाए. नए चेहरों को यहां भी जनता ने पसंद किया है. उत्तर बिहार के 7 जिलों में युवा चेहरों को बड़ी तादाद में जीत मिली है. पश्चिम चंपारण, मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा के जिन प्रखंडों में अब तक के चुनाव नतीजे सामने आए हैं वहां ज्यादातर नए चरणों के ऊपर ही जनता ने भरोसा दिखाया है.
कोसी और सीमांचल में भी पुराने चेहरों को जनता ने नकार दिया है. इस इलाके में भी नए चेहरों के ऊपर ग्रामीण वोटर अपना विश्वास जता रहे हैं. सुपौल जिले के प्रतापपुर प्रखंड के 9 में से 6 पंचायतों ने जनता ने नए चेहरों को मौका दिया. सहरसा के कहरा प्रखंड की 12 पंचायतों में 9 नए चेहरे जीते. जबकि मधेपुरा जिले में जो नतीजे आए हैं उसमें भी सभी नए चेहरों को जीत मिली है. पूर्णिया के बनमनखी 24 पंचायतों में से 50 फ़ीसदी से ज्यादा में नए चेहरों को जीत हासिल हुई. यही हाल लगभग अररिया जिले का भी है.