PATNA: उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार नहीं बनने देने की कसमें खाने वाले मुकेश सहनी को लेकर बिहार में बड़े फैसले का समय आ गया है. मुकेश सहनी बिहार में एनडीए में रहेंगे या नहीं इसका फैसला 10 दिनों में हो जायेगा. दरअसल चुनाव आयोग ने आज बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की बोचहां विधानसभा सीट पर उपचुनाव का एलान कर दिया है. ये उपचुनाव ही बिहार में मुकेश सहनी का सियासी भविष्य़ तय करेगा।
बेहद अहम है ये उपचुनाव
आपके जेहन में ये सवाल उठ सकता है कि एक सीट पर होने वाला उपचुनाव कैसे किसी नेता या पार्टी का सियासी भविष्य तय कर सकता है. हम आपको समझाते हैं. दरअसल बिहार में हुए 2020 के विधानसभा चुनाव में बोचहां विधानसभा सीट मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के पास गयी थी. उनके उम्मीदवार मुसाफिर पासवान वहां से चुनाव जीत कर विधायक बन भी गये थे. लेकिन मुसाफिर पासवान का निधन हो गया और ये सीट खाली हो गयी. चुनाव आय़ोग ने बोचहां सीट पर 12 अप्रैल को चुनाव कराने का एलान कर दिया है. इस सीट के लिए 17 मार्च से 24 मार्च के बीच नामांकन होगा. परिणाम 16 अप्रैल को आयेगा।
अब बोचहां सीट के महत्व को समझिये. 2020 में मुकेश सहनी बीजेपी की मदद से बोचहां समेत चार विधानसभा सीट जीते, बीजेपी ने उन्हें एमएलसी बनाया और फिर मंत्री. लेकिन मुकेश सहनी ने इसी बीच पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव आ गया. उत्तर प्रदेश चुनाव भाजपा के कितना अहम था ये जगजाहिर है. लेकिन मुकेश सहनी ने यूपी में बीजेपी के खिलाफ ऐसा मोर्चा खोला कि भाजपा नेता हैरान रह गये थे. सहनी पहले अपनी पार्टी का प्रचार कर रहे थे लेकिन बाद में हेलीकॉप्टर से घूम घूम कर वोटरों से ये अपील कर रहे थे कि वे बीजेपी को हरायें. बीजेपी की सरकार नहीं बनने दें. हालांकि बीजेपी समझ रही थी कि मुकेश सहनी की यूपी में क्या हैसियत है लिहाजा उसने कोई भाव नहीं दिया. लेकिन बिहार के भाजपा नेताओं में तिलमिलाहट दी. पार्टी नेतृत्व ने बिहार के नेताओं को उत्तर प्रदेश चुनाव के रिजल्ट तक खामोश रहने को कहा था. उन्हें कहा गया था कि यूपी चुनाव के बाद मुकेश सहनी पर फैसला लिया जायेगा।
बोचहां सीट पर बीजेपी की दावेदारी
मुकेश सहनी जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ गोलबंदी करा रहे थे उसी दौरान बिहार बीजेपी के नेताओं ने खाली पड़ी बोचहां सीट पर दावेदारी पेश कर दी थी. मुजफ्फरपुर जिला भाजपा ने प्रस्ताव पारित कर अपने नेतृत्व को भेज दिया कि बोचहां सीट से बीजेपी अपना उम्मीदवार लड़ाये. बीजेपी की प्रदेश महामंत्री बेबी कुमारी पिछले दो महीने से बोचहां क्षेत्र में जनसंपर्क कर रही हैं. जाहिर है उन्हें पार्टी ने संकेत दिया था तभी वे बोचहां में लगी थीं. दरअसल 2020 में बेबी कुमारी ही बोचहां की सीटिंग विधायक थीं. बीजेपी ने अपने सीटिंग विधायक की सीट वीआईपी को दे दिया था. मुकेश सहनी के बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद ही बेबी कुमारी बोचहां में जनसंपर्क करने में जुटी थीं.
सहनी को सीट नहीं देगी बीजेपी
प्रदेश बीजेपी के एक नेता ने बताया कि कोई बडा चमत्कार ही होगा तब मुकेश सहनी के लिए बोचहां सीट छोड़ी जायेगी. मुकेश सहनी ने यूपी में जो किया है उसके बाद पार्टी आलाकमान उन्हें कोई भाव देने के मूड में नहीं है. बीजेपी को ये भी लग रहा है कि यूपी में मुकेश सहनी ने जो किया उसे बर्दाश्त कर लिया जायेगा तो आगे से दूसरी सहयोगी पार्टियां भी ऐसा ही करने लगेंगी. बीजेपी नेता ने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि बीजेपी बिहार के किसी सहयोगी दल के साथ दूसरे राज्य में भी समझौता करे. ऐसे में बिहार की सहयोगी पार्टियां दूसरे राज्य में अलग चुनाव लड़ सकती है. बीजेपी को इससे कोई एतराज नहीं है. लेकिन अगर कोई सहयोगी पार्टी दूसरे राज्य में जाकर कहने लगे कि हर हाल में बीजेपी को हराओ तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. लिहाजा ये लगभग तय है कि बिहार में मुकेश सहनी को जवाब दिया जायेगा.
बीजेपी के कई नेता मुकेश सहनी की मंत्री की कुर्सी भी जाने का दावा कर रहे हैं. दरअसल मुकेश सहनी 2020 में मंत्री बनने के बाद बीजेपी की सीट से विधान पार्षद बने थे. बीजेपी ने उन्हें डेढ साल के कार्यकाल वाला विधान परिषद की सीट दी थी. उनका विधान पार्षद का कार्यकाल में भी दो महीने में खत्म हो रहा है. बीजेपी के नेता दावा कर रहे हैं कि अब मुकेश सहनी को बीजेपी रिपीट नहीं करने जा रही है. जब सहनी एमएलसी ही नहीं रहेंगे तो भी मंत्री की कुर्सी जाना तय है.
वैसे इन सबके बीच एक सत्य ये भी है कि राजनीति में कुछ भी नामुमकिन नहीं होता. बीजेपी के बिहार के लगभग सभी नेता मुकेश सहनी के खिलाफ हैं. लेकिन फैसला तो नरेंद्र मोदी-अमित शाह को लेना है. लिहाजा बिहार के नेता खुल कर कुछ बोल नहीं रहे हैं. वैसे फैसला जो कुछ भी हो, अगले 10 दिनों में ये क्लीयर हो जायेगा कि मुकेश सहनी का बिहार में सियासी भविष्य क्या होगा. वे एनडीए में रहेंगे या फिर दूसरा रास्ता देखेंगे.