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1st Bihar Published by: Updated Sat, 20 Mar 2021 02:48:20 PM IST
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PATNA : बिहार के वार्ड पार्षदों के लिए एक बहुत बुरी खबर है. दरअसल नगर पालिका अधिनियम संशोधन से उन्हें एक बड़ा झटका लगा है. क्योंकि इस संशोधन से अब सरकारी ठेकों में स्थानीय निकाय प्रतिनिधियों की दखलंदाजी खत्म हो जाएगी. यानि कि वार्ड पार्षद अब न तो खुद और न ही अपने किसी परिवार के सदस्य या रिश्तेदार को कोई ठेका दिला सकेंगे.
आपको बता दें कि बिहार सरकार ने नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 53 में संशोधन कर दिया है. सरकार के इस निर्णय से वार्ड पार्षदों को एक बड़ा झटका लगा है. निकाय प्रतिनिधियों की दखलंदाजी खत्म करने के लिए नीतीश सरकार ने यह कड़ा रुख अख्तियार किया है. सरकार के इस फैसले से कोई भी वार्ड पार्षद अब लाखों-करोड़ों का ठेका न तो खुद ले सकेंगे और न ही परिवार के किसी सदस्य को दिला सकेंगे.
बिहार सरकार ने निकाय प्रतिनिधियों द्वारा सरकारी ठेकों और अन्य आर्थिक लाभ के कार्यों में दखल को रोकने के लिए यह बड़ा निर्णय लिया है. गौरतलब हो कि बिहार विधानसभा में पिछले दिन बिहार नगर पालिका संशोधन विधेयक-2021 पारित किया गया. नगर पालिका अधिनियम में संशोधन किये जाने से नगर निकायों में लाखों और करोड़ों के ठेकों की बंदरबाट पर नकेल कसी जा सकेगी.
ठेकों में निकाय प्रतिनिधियों की दखल के चलते सरकारी कार्यों की गति और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती हैं. ऐसे कई मामले बीते दिनों में विभाग और सरकार तक भी पहुंचते रहे हैं. इन्हीं सबको देखते हुए राज्य सरकार द्वारा नगर पालिका विधेयक में कई संशोधनों में इसे भी शामिल किया गया है. कोई भी वार्ड पार्षद अब ऐसी किसी निविदा के निस्तारण संबंधी समिति की बैठक का हिस्सा नहीं बन सकेंगे, जिससे उन्हें या उनके परिवार के किसी सदस्य को सीधा लाभ पहुंचता हो.
दरअसल राज्य के विभिन्न निकायों में चल रही केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत कराए जाने वाले कार्यों को वहां के कुछ वार्ड पार्षद प्रभावित करते हैं. ऐसा देखा जाता है कि कई मामलों में तो वार्ड पार्षद खुद या उनकी पत्नी या फिर बच्चे खुद ठेकेदारी कर रहे हैं. इस तरह लाखों-करोड़ों रुपये का बंदरबांट हो जाता है. काम भी सही तरीके से नहीं हो पाता है.