बिहार में ऐसे होता है छात्रों का भविष्य चौपट: यूनिवर्सिटी में रिजल्ट छापने के लिए कागज नहीं है इसलिए 8 महीने से लटका है परीक्षाफल

बिहार में ऐसे होता है छात्रों का भविष्य चौपट: यूनिवर्सिटी में रिजल्ट छापने के लिए कागज नहीं है इसलिए 8 महीने से लटका है परीक्षाफल

DESK : बिहार के एक प्रमुख यूनिवर्सिटी का हाल देखिये. तकरीबन आठ महीने पहले यूनिवर्सिटी के 40 हजार छात्रों ने ऑनर्स पार्ट टू की परीक्षा दी थी. छात्र-छात्रायें हैरान परेशान हैं. देश के किसी दूसरे राज्य की यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे होते तो अब तक तीन साल वाले ऑनर्स परीक्षा का फाइनल रिजल्ट आ गया होता. यहां दूसरे साल का रिजल्ट नहीं आया है. छात्रों ने जब हंगामा खडा हुआ तो हकीकत सामने आयी. यूनिवर्सिटी के पास छात्रों का अंकपत्र तैयार करने के लिए कागज और प्रिंटर का काट्रीज नहीं है. इसलिए 40 हजार छात्र-छात्राओं का भविष्य चौपट होने के कगार पर पहुंच गया है.


भागलपुर विश्वविद्यालय का है मामला

ये कहानी भागलपुर के तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी के 2018-21 बैच के पार्ट टू के छात्र-छात्राओं की है. देश की किसी दूसरे राज्य की यूनिवर्सिटी में होते तो पार्ट थ्री यानि फाइनल का भी रिजल्ट आ गया होता. लेकिन बिहार के यूनिवर्सिटी की कहानी जानिये. तकरीबन आठ महीने पहले पार्ट टू की परीक्षा ली गयी थी. 40 हजार स्टूडेंट आज तक रिजल्ट का इंतजा कर रहे हैं अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया है कि उसके पास कागज और काट्रीज नहीं होने के कारण रिजल्ट जारी करने में देरी हो रही है.


ऐसे दौडती है सरकारी फाइल

किसी छात्र या छात्रा का रिजल्ट उसके भविष्य से जुडा होता है. इसके लिए यूनिवर्सिटी में कितनी तत्परता है ये भी जान लीजिये. यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने छात्र-छात्राओं को बताया कि उनके दफ्तरों में पिछले एक सप्ताह से फाइल चल रही है. कागज और प्रिंटर का काट्रीज के लिए. लेकिन  अब तक उपर से इस पर मंजूरी नहीं मिल पायी है. लिहाजा न कागज मिला है और ना काट्रीज. रिजल्ट आये भी तो कैसे. 


छात्रों में भारी आक्रोश

यूनिवर्सिटी के छात्र कह रहे हैं कि उनका सेशन 15 महीने की देरी से चल रहा है. अब तक तो फाइनल परीक्षा हो जानी चाहिये थी. लेकिन वे पार्ट 2 का रिजल्ट जारी करने के लिए चक्कर लगा रहे हैं.  मारवाड़ी कॉलेज के छात्र नेता अमित कुमार ने बताया कि इस संबंध में छात्रों के प्रतिनिधियों ने परीक्षा नियंत्रक से बात की  थी. परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि उनके पास टीआर तैयार करने के लिए कागज नहीं है. वहीं प्रो वीसी ने भरोसा दिलाया था कि दो दिनों के भीतर रिजल्ट जारी हो जायेगा लेकिन एक सप्ताह बाद भी कुछ नहीं हुआ. 

सब घोटाले का खेल

छात्र नेताओँ का आऱोप है कि ये सब घोटाले का खेल है. यूनिवर्सिटी में कुछ खास काम कराने के लिए हमेशा पैसा रहता है, फंड की कभी कमी नहीं होती लेकिन छात्रों का रिजल्ट जारी करने के लिए कागज औऱ काट्रीज नहीं है. जाहिर है यूनिवर्सिटी में बड़ा घोटाल हो रहा है औऱ इसके कारण तकरीबन 40 हजार छात्र-छात्राओं का भविष्य चौपट हो रहा है. वैसे यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक अरूण कुमार सिंह ने मीडिया से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगले सप्ताह रिजल्ट जारी कर दिया जायेगा.