PATNA: नीतीश कुमार के जमीन सर्वे को लेकर पहले से कई तरह की आशंकायें जतायी जा रही थी. अब बिहार के लोगों पर नयी गाज गिरी है. सरकार ने लाखों एकड़ जमीन का खाता-खेसरा लॉक कर दिया है. इसका मतलब ये है कि लॉक किये गये जमीन की खरीद-बिक्री नहीं की जा सकेगी.
बड़े पैमाने पर जमीन के मालिकाना हक का रिकॉर्ड लॉक करने का मुद्दा बड़े हंगामे का कारण बन सकता है. जमीन का मालिकाना हक तय करने के लिए चल रहे सर्वेक्षण के बीच नीतीश सरकार ने लाखों एकड़ जमीन का खाता-खेसरा लॉक किया है. ताकि उसे कोई अब खरीद या बेच नहीं सके. राज्य सरकार ने इस मसले पर सफाई दी है, लेकिन लोग परेशान हैं. विपक्षी दल आरजेडी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए आंदोलन का ऐलान कर दिया है.
सरकार की सफाई
लाखों एकड़ जमीन का खाता-खेसरा लॉक करने के मसले पर सरकार की सफाई आयी है. सरकार ने कहा है कि सिर्फ उन जमीन का खाता-खेसरा लॉक किया गया है जो पहले के रिकॉर्ड में सरकारी भूमि के तौर पर दर्ज थी लेकिन बाद में धोखाधड़ी से उसे बेचा गया है या अवैध कब्जा किया गया है. बिहार सरकार के राजस्व और भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए कहा है कि जमीन के दस्तावेजों को लॉक करने का सर्वेक्षण से कोई संबंध नहीं है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि जिला के स्तर पर लॉक करने का कम हो रहा है और जिला स्तरीय समिति इस पर आने वाली आपत्तियों को देख रही है. सिर्फ उन जमीन को लॉक किया गया है जो पहले के सर्वे में सरकारी थी लेकिन उसे जालसाजी से किसी को बेच दिया गया है या उसका अतिक्रमण कर लिया गया है.
एसीएस दीपक कुमार सिंह ने एक अंग्रेजी अखबार को कहा है कि जमीन लॉक होने के बाद उस पर मालिकाना हक का दावा करने वालों को अपने पेपर दिखाने के लिए पर्याप्त समय दिया जा रहा है. एसीएस ने कहा है कि 90 दिन के अंदर उनको तीन बार आपत्ति दाखिल करने का मौका दिया जा रहा है. 90 दिन के बाद वो जिला भूमि ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं. निबटारा अधिकारी के ऊपर भी एक अपील की व्यवस्था करने का विचार चल रहा है. अगर कोई जमीन गलती से लॉक कर दी गई है तो समुचित दस्तावेज दिखाने के बाद उसे खोल दिया जा रहा है.
आरजेडी ने आंदोलन का ऐलान किया
उधर, नीतीश सरकार की इस कार्रवाई के बाद विपक्षी पार्टी आरजेडी ने आंदोलन का ऐलान कर दिया है. बक्सर से आरजेडी के सांसद सुधाकर सिंह ने कहा कि सरकारी जमीन के नाम पर जिला स्तर पर बड़े पैमाने पर जमीन के रिकॉर्ड को लॉक करना एक अजीब कदम है. जिनके नाम पर जमीन है, उन्हें कोई नोटिस तक नहीं दिया गया है. सुधाकर ने कहा कि व्यापक स्तर पर खाता-खेसरा लॉक करने से हजारों लोग कोर्ट जाने को मजबूर होंगे और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
सुधाकर सिंह ने कहा कि लाखों एकड़ जमीन को लॉक करने के खिलाफ अगर लोग कोर्ट जाने लगते हैं और कुछ तो चले भी गए हैं तो समझिये कि कोर्ट पर कितना बोझ पड़ेगा. ऐसे लाखों केस को निपटाने में कोर्ट का कितना समय लगेगा. इसमें एक सौ साल तक का समय लग सकता है. हर जिले में लगभग 25 हजार एकड़ जमीन के औसतन 10 से 15 हजार खाता-खेसरा लॉक किए गए हैं. जमीन राष्ट्रीय संपत्ति है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि सरकार उसकी मालिक है. सरकार का काम है जमीन की प्रकृति तय करना और उसके दुरुपयोग को रोकना.
आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार तानाशाह की तरह आदेश जारी कर जिस तरह से कानून और कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कर रही है उससे जमीन मालिक और किसान डरे हुए हैं. किसानों को लग रहा है कि उद्योगपतियों को जमीन देने के लिए सरकार सुनियोजित तरीके से जमीन कब्जा कर लैंड बैंक बना रही है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि उसकी जमीन धोखे से बेची गई है या उसे कब्जा किया गया है तो उसकी एक कानूनी प्रक्रिया है. कोई अफसर जमीन का मालिकाना हक नहीं तय कर सकता है. सिर्फ अदालत ये काम कर सकती है.
ब्यूरो रिपोर्ट फर्स्ट बिहार/झारखंड