बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल देखिये: ऑक्सीजन पाइप नहीं रहने के कारण मासूम की मौत, कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप

बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल देखिये: ऑक्सीजन पाइप नहीं रहने के कारण मासूम की मौत, कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप

 JAMUI: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव बिहार में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत क्या है यह किसी से छिपी नहीं है। यही कारण है कि आज भी लोग सरकारी अस्पताल में जाना नहीं चाहते। सबसे पहले वे प्राइवेट नर्सिंग होम की ओर रुख करते हैं। अब जमुई का ही यह मामला देख लीजिए यहां सदर अस्पताल में ऑक्सीजन पाइप नहीं रहने के कारण 10 महीने के बच्चे की जान चली गयी। परिजन इसे जमुई सदर अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही बता रहे है। घटना से गुस्साएं परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और कार्रवाई की मांग की। 


जमुई में एक मासूम की सही इलाज नहीं मिलने के कारण मौत हो गई। परिजनों ने सदर अस्पताल के कर्मियों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। परिजनों के मुताबिक 10 महीने के बच्चे को मंगलवार तेज बुखार आया था। जिसके बाद उसे सदर अस्पताल ले जाया गया जहां अस्पताल के डॉक्टरों ने बच्चे को SNCU कैंपस भेज दिया यहां से बच्चे को प्राइवेट क्लीनिक भेजा गया। जब बच्चे की हालत बिगड़ने लगी तो उसे दोबारा सदर अस्पताल लाया गया। यहां ऑक्सीजन पाइप नहीं होने की वजह से उसकी मौत हो गई। 


बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया। परिजनों का आरोप है कि 3 घंटे तक बच्चों के इलाज के लिए इधर-उधर भटकते रहे लेकिन इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई। करीब ढाई घंटे तक चल हंगामा के बाद सदर अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट को आवेदन देकर डिप्टी पर तैनात डाक्टर और अस्पताल कर्मी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की। मृत बच्चे के चाचा राजू कुमार सिंह ने बताया की तेज बुखार के बाद उसके भतीजे रुद्र प्रताप सिंह को सुबह 4:00 सदर अस्पताल लेकर पहुंचे थे जहां इमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉक्टर देवेंद्र कुमार ने कहा कि यहां बच्चे का इलाज नहीं किया जाता है इसे SNCU ले जाए।


परिजन उसे लेकर SNCU पहुंचे तो वहां के स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि यहां सिर्फ जीरो से 28 दिन के बच्चे का ही इलाज होता है। बच्चे को किसी प्राइवेट क्लीनिक ले जाए। राजू कुमार सिंह के मुताबिक प्राइवेट क्लीनिक पहुंचने के बाद रुद्र की तबीयत और बिगड़ गई उसे ऑक्सीजन की जरूरत थी। इसके बाद फिर उसे सदर अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई। परिजन 6:00 बजे सुबह बच्चों को लेकर जब दोबारा सदर अस्पताल लेकर पहुंचे तो वहां मौजूद कर्मियों ने बताया कि ऑक्सीजन देने वाला पाइप ही नहीं है। कुछ समय इंतजार करने के बाद परिजन अस्पताल के बाहर स्थित मेडिकल स्टोर से ऑक्सीजन पाइप लेकर पहुंचे तब जाकर उसे एडमिट किया गया लेकिन तब तक बच्चों को देखने कोई नहीं आया। 


इस बीच इलाज के अभाव में बच्चों की मौत हो गई। वहीं बच्चों की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। परिजनों का कहना है कि बच्चों के इलाज के लिए इधर-उधर भटकते रहे लेकिन किसी ने बच्चे का इलाज शुरू नहीं किया और अस्पताल के कर्मियों की वजह से मासूम की मौत हो गई। बच्चों के चाचा राजू कुमार सिंह ने कहा कि डॉक्टर और कमी के लापरवाही के कारण उसके भतीजे की मौत हुई है अगर समय रहते भतीजे का इलाज किया जाता तो शायद उसकी जान बच जाती इधर हंगामा की जानकारी के बाद सिविल सर्जन डॉक्टर कुमार महेंद्र प्रताप अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर सैयद नौशाद अहमद और टाउन थाना अध्यक्ष राजीव कुमार तिवारी पहुंचे और मृतक बच्चे के परिजनों को हर संभव मदद दिलाने का भरोसा दिलाया।


 मृतक बच्चे के परिजनों ने डॉक्टर और कर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है वहीं सिविल सर्जन कुमार महेंद्र प्रताप ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है जबकि डिप्टी सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर सैयद नौशाद अहमद ने बताया कि पूरे मामले की आवेदन के आधार पर जांच की जाएगी साथ ही बताया कि इस घटना के बाद वह विभाग को एक पत्र लिखकर सदर अस्पताल में बच्चों के इलाज की व्यवस्था की मांग करेंगे।