बिहार की सरकारी जमीनों पर भू-माफिया की बुरी नजर : तालाब के बाद अब गवर्नमेंट लैंड बेचकर हो रहे मालामाल

बिहार की सरकारी जमीनों पर भू-माफिया की बुरी नजर : तालाब के बाद अब गवर्नमेंट लैंड बेचकर हो रहे मालामाल

DARBHANGA : बिहार में जमीन माफिया की बुरी नजर अब सरकारी जमीनों पर है। भू-माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि अब वह सरकारी जमीनों को भी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से बेच रहे हैं। दरभंगा में सरकारी तालाब बेचने के बाद अब बिहार सरकार की जमीन को भी बेचा जा रहा है। ये भू माफिया खुद को कानून से ऊपर समझने लगे हैं और कानून को हाथ में लेकर किसी की भी जमीन पर अवैध कब्जा करने से नहीं चूक रहे। 


मामला सदर अंचल के मधपुर मौजे से जुड़ा हुआ है, जहां बिहार सरकार की ज़मीन के ख़रीद-फरोख्त का एक बड़ा मामला का प्रकाश में आया है। सरकारी तंत्र की मिलीभगत से कारोबारी सरकारी जमीन को पचास लाख से एक करोड़ रुपए प्रति कट्ठा के हिसाब से बेच रहे हैं। हांलाकि जब इस बात की जानकारी भूमि सुधार उप समाहर्ता सदर को लगी तो उन्होंने तत्काल मौखिक आदेश देकर ख़रीद-बिक्री पर रोक लगा दी है। 


दरअसल, सदर अंचल अंतर्गत मौजा मधपुर इंजीनियरिंग कॉलेज एनएच 27 से सटे अनावाद में बिहार सरकार की कई एकड़ ज़मीन है। जिसे कुसुम कुमारी देवी के द्वारा बेचा जा रहा है। जबकि उनके वंशज के नाम से कोई पुराना खतियान या केवाला प्राप्त नहीं है। कुसुम कुमारी देवी उक्त बिहार सरकार की ज़मीन की मालकिन कैसे बनी, यह बड़ा सवाल है। इस बात को लेकर ग्रामीणों ने डीएम दरभंगा को आवेदन देकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। आवेदक का दावा है कि भू माफिया एवं सरकारी कर्मचारी के गठजोड़ से गलत BT Act का हवाला देकर पूरी ज़मीन पर कब्जा करने का खेल खेला गया है। 


वहीं इसके बारे में भूमि सुधार उप समाहर्ता सदर संजीत कुमार ने कहा कि प्रारंभिक जांच में दस्तावेज के अनुसार यह जमीन बिहार सरकार की प्रतीत हो रही है। अभी फिलहाल इस स्थल के ख़रीद-फरोख्त पर रोक लगा दी गई है। साथ ही बहुत जल्द ही लिखित आदेश भी निर्गत कर दिये जाएंगे। उन्होंने कहा कि सदर अंचलाधिकारी से जमीन संबंधित दस्तावेज़ की मांग की गई है एवं सभी साक्ष्यों का आकलन किया जा रहा है।


सूत्रों की माने तो यह सरकारी ज़मीन जो तकरीबन 11-12 एकड़ है, जिसको हथियाने के प्रकरण में राजस्व के बड़े पदाधिकारी की संलिप्ता हो सकती है। बिहार सरकार द्वारा उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच हुई तो राजस्व विभाग के कई आला अधिकारी व बड़े नामचीन कारोबारी भी जांच की जद में आ सकते हैं। प्राप्त सूचना के अनुसार तकरीबन एक वर्ष पूर्व ही रोक सूची से इसे हटा दिया गया है। जिसके बाद रजिस्ट्री का खेल शुरू हुआ। ऑनलाइन रजिस्ट्री कार्यालय रिपोर्ट के अनुसार अभी तक 28 केवाला हो चुका है।