विदेश मंत्रालय की क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी स्वधा रेजवी पहुंची शिवहर, पासपोर्ट सेवा केंद्र का किया निरीक्षण अररिया: अनंत मेले से कुख्यात अपराधी रॉबिन यादव हथियार सहित गिरफ्तार, दर्जनों मामले दर्ज ISM पटना में खेल सप्ताह ‘पिनैकल 2025’ का शानदार समापन, विजेताओं को किया गया सम्मानित NEET की तैयारी को लेकर रांची में Goal Institute का सेमिनार, विशेषज्ञों ने दिये सफलता के टिप्स विश्व फिजियोथेरेपी दिवस पर बोले अनिल सुलभ..बिहार को इस चिकित्सा पद्धति से इंडियन इंस्टीच्युट ने अवगत कराया बिहार ने 20 सालों में विकास का नया आयाम हासिल किया: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय बिहार ने 20 सालों में विकास का नया आयाम हासिल किया: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी ने कोलकाता में की रेटिना की जटिल LIVE सर्जरी, बने बिहार के पहले नेत्र रोग विशेषज्ञ Bihar Police News: अपराधियों को गिरफ्तार करने में बिहार पुलिस ने बनाया रिकॉर्ड, 7 महीनों में 2.28 लाख अभियुक्तों को अरेस्ट करने का दावा Bihar Police News: अपराधियों को गिरफ्तार करने में बिहार पुलिस ने बनाया रिकॉर्ड, 7 महीनों में 2.28 लाख अभियुक्तों को अरेस्ट करने का दावा
1st Bihar Published by: PRASHANT Updated Fri, 07 May 2021 10:52:27 AM IST
- फ़ोटो
DARBHANGA: बिहार के प्रख्यात चिकित्सक पद्मश्री डॉ. मोहन मिश्रा का हार्ट अटैक से गुरुवार की रात निधन हो गया। दरंभागा जिले के लहेरियासराय के बंगाली टोला स्थित आवास में उन्होंने अंतिम सांस ली।
परिजनों ने बताया कि पिछले तीन दिनों से वो गंभीर रूप से बीमार थे। उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव थी। 2014 में पद्मश्री से उन्हें सम्मानित किया गया था। कालाजार बीमारी पर शोध को लेकर उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था। 1995 में DMCH के मेडिसिन विभाग में एचओडी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
डॉक्टर मोहन मिश्रा विश्व स्तर के ख्याति प्राप्त फिजिशियन डॉक्टर थे। उन्होंने कई विषयों व बीमारियों पर शोध किए थे, जिसके बाद उनको तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पद्मश्री से सम्मानित किया था। विश्व में डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी पर प्रभावी और सर्वमान्य रिसर्च नहीं हो सका था।
डॉ. मोहन मिश्र ने ब्राह्मी नामक पौधे से इस बीमारी के इलाज में सफलता पाई थी। उनके इस रिसर्च को ब्रिटिश जर्नल में जगह दी गई थी। उन्हें कालाजार पर शोध के लिए 2014 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में मेडिसीन विभाग के एचओडी रहे डॉ. मोहन मिश्र वर्ष 1995 में सेवानिवृत्त हुए।
इसके बाद वे बंगाली टोला स्थित घर पर मरीजों को देखने लगे। इस दौरान उनके पास डिमेंशिया के कई मरीज आते थे। इसकी कोई सटीक दवा नहीं होने के चलते बहुत फायदा नहीं होता था। उनका ध्यान आयुर्वेद की तरफ गया तो ब्राह्मी के पौधे की विशेषता की जानकारी हुई। इस विषय में काफी जानकारी जुटाई। आयुर्वेद के कई चिकित्सकों से बात की। फिर इस पौधे से डिमेंशिया के इलाज पर रिसर्च का निर्णय लिया। उनके निधन से दरभंगा में शोक की लहर है।