BHAGALPUR : बिहार में ऐसा पहली बार हुआ है कि पोक्सो के मामले में किसी लड़की को जेल की सजा सुनाई गई है. बलात्कार के एक मामले में भागलपुर कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. छात्रा के अपहरण और उसके साथ बलात्कार के मामले में एक लड़की को भी दोषी ठहराते हुए उसे 6 महीने जेल की सजा सुनाई गई है. पॉक्सो के मामले के विशेष न्यायाधीश रोहित शंकर की अदालत ने इस लड़की को 20 फ़रवरी को दोषी ठहराया था.
मामला बिहार के भागलपुर जिले का है. स्पेशल पॉक्सो जज रोहित शंकर की अदालत ने एक छात्रा के साथ किशोर द्वारा दुष्कर्म करने के मामले में सहयोग के लिए आरोपी की बहन को 6 महीने की सजा सुनाई है. दरअसल कोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में आरोपी शख्स की बहन को भी दोषी ठहराया था. उसकी बहन के ऊपर भाई को छिपाने का आरोप लगा था , जिसके बाद उसे स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने दोषी ठहराया गया. आपको बता दें कि ये मामला साल 2016 का है. जब मोजाहिदपुर के रहने वाली एक स्टूडेंट के साथ मोजाहिदपुर निवासी मो. आमिर ने बलात्कार की घटना को अंजाम दिया था.
इस मामले में पुलिस आरोपी मो. आमिर को तलाश रही थी लेकिन उसकी बहन ने अपने भाई के अपराध को जानने के बावजूद उसे अपने घर में छिपाये रखा. इस मामले में पीड़िता छात्रा की तरफ से विशेष लोक अभियोजक शंकर जयकिशन मंडल ने न्यायाधीश रोहित शंकर के स्पेशल पॉक्सो कोर्ट में शनिवार को जिरह किया. जिरह के दौरान कोर्ट ने आमिर की बहन पिंकी को दोषी पाया. अब दोषी बहन को सजा सोमवार को सुनाई जायेगी.
न्यायाधीश ने पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत तथ्य छिपाने का दोषी पाते हुए सजा बिंदु पर सुनवाई के लिए 22 फरवरी की तिथि तय कर दी. इस लड़की के ऊपर आरोप था कि वह अपने भाई आमिर के अपराध को जानने के बावजूद उसे छिपा रखी थी. आमिर ने छात्रा को अगवा कर अपने घर में छिपा रखा था. यह घटना की बाबत मोजाहिदपुर थाने में 11 नवंबर 2016 को केस दर्ज कराया गया था.
आपको बता दें कि पॉक्सो एक्ट 2012 (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) के अंतर्गत 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बालक-बालिकाएं जिनके साथ किसी भी प्रकार का लैंगिक शोषण हुआ हो या करने का प्रयास किया गया हो, इस एक्ट के दायरे में आते हैं. इस एक्ट में दोषी के विरूद्ध सजा के कड़े प्रावधान किये गए हैं. इस एक्ट के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति/संस्थान/कंपनी लैंगिक अपराध के मामले रिपोर्ट करने में असफल रहते है तो उन्हें भी एक्ट की धारा 21(1), (2) के तहत 06 माह से 01 वर्ष तक की सजा हो सकती है. लैंगिक अपराध के मामलों की सुनवाई भी विशेष न्यायालय में किए जाने का प्रावधान है.