PATNA : बिहार में फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी पाने का एक और नया मामला सामने आया है। मामला राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से जुड़ा हुआ है। विभाग ने डिजिटल सर्वे के काम में तेजी लाने के लिए लगभग 2 साल पहले 6000 पदों पर अमीन और कानूनगो की बहाली की थी लेकिन अब इस बहाली में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े की बात सामने आ रही है। विभाग की तरफ से अमीन और कानूनगो के पद पर बहाल अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों की जांच शुरू कराई गई तो गड़बड़ी सामने आ गई। अमीन बहाली में कई अभ्यर्थियों ने ऐसे संस्थानों से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा का सर्टिफिकेट दिया है जहां इस कोर्स की पढ़ाई तक नहीं होती।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक अमीन की बहाली में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा देखने को मिला है। सबसे अधिक जाली सर्टिफिकेट के मामले बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी और मेघालय यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं। इन दोनों विश्वविद्यालयों से फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर अमीन और कानूनगो के पद पर लगभग 200 लोग बाहर हो गए। विभाग के सामने अब तक के सवा दो सौ मामले सामने आ चुके हैं। ज्यादातर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। सर्वे निदेशालय ने एफआईआर दर्ज कराई है। इतना ही नहीं 10 कानूनगो भी फर्जी डिग्री के आधार पर योगदान करते पाए गए हैं। विभाग अब इन लोगों से वेतन वसूलने की तैयारी में है।
हैरत की बात यह भी है कि जब अमीन और कानूनगो की बहाली में फर्जी सर्टिफिकेट से जुड़े मामले सामने आने लगे तो तकरीबन साढे तीन सौ अमीन और कानूनगो ने इस्तीफा दे दिया लेकिन इन लोगों से विभाग ने इस शर्त के साथ इस्तीफा लिया कि पूरे कार्यकाल का वेतन वसूला जाएगा। इस्तीफा देने वाले लोगों का प्रमाण पत्र फर्जी पाए गया उनपर एफआईआर दर्ज की गई है। लगभग ढाई सौ से ज्यादा अमीन ऐसे हैं जो बीच में ही नौकरी छोड़ कर फरार हो गए। इनके बारे में अलग से जांच कराई जा रही है। फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा मामला नालंदा से सामने आया है, नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है और यहां 35 फर्जी मामले सामने आ चुके हैं। इसके बाद बेतिया में 23 और किशनगंज में 19 बेगूसराय में 17 और अरवल जिले में 17 मामले फर्जीवाड़े के पाए गए हैं।