PATNA: गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड मामले में बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन भले ही सहरसा जेल में बंद हों लेकिन बिहार में महागठबंधन की सरकार बनते ही वे पटना में नजर आएं। सोशल मीडिया पर उनका फोटो भी वायरल हो रहा है। इसे लेकर बिहार के पूर्व पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने महागठबंधन की सरकार को घेरा है। महागठबंधन की नई सरकार पर हमला बोलते हुए नितिन नवीन ने कहा कि सुशासन और जंगलराज में फर्क दिखने लगा है।
नीतीश कुमार जंगलराज के साथ आए तो जेल के अंदर बैठा व्यक्ति भी पटना की सड़कों पर घुम रहा है। घर में बैठकर खाना खा रहा है। पटना में परिवार और कार्यकर्ताओं से मिल रहा है। नीतीश कुमार की दशा और दिशा दोनों दिखाई देने लगी है। नीतीश कुमार इतने मजबूर हो गये है कि मजबूरीवश अपराधियों को खुला छोड़ रहे हैं।
बिहार के पूर्व मंत्री व बीजेपी नेता नितिन नवीन से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि नीतीश जी कल तक आपके साथ थे तब ठीक थे और आज महागठबंधन में शामिल हो गये तो गलत कैसे हो गये? मीडिया के इस सवाल का जवाब देते हुए नितिन नवीन ने कहा कि नीतीश जी जब हमारे साथ थे तब अपराधी जेल के अंदर होता था अब जब नीतीश जी जंगलराज के लोगों के साथ आ गये हैं तो अपराधी जेल के बजाय घर में बैठकर खाना खाता है।
बीजेपी नेता नितिन नवीन ने कहा कि अराजकता और जंगलराज बिहार में अब शुरू हो गया है। सरकार बदलने से मंशा बदल जाती है। जंगलराज और सुशासन में फर्क भी दिखने लगा है। अटल जी के साथ संघर्ष में रहे तो नीतीश कुमार में सुशासन के प्रतीक दिखने लगा था और अब जंगलराज के साथ आए तो जेल के अंदर बैठा व्यक्ति जेल के बाहर घुम रहा है। दशा और दिशा नीतीश कुमार की दिख रही है। कितने मजबूर हो गये है नीतीश कुमार कि मजबूरीवश अपराधियों को भी खुला छोड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड मामले में बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में ऊपरी अदालत ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था तभी से आनंद मोहन जेल बंद में हैं। भले ही आनंद मोहन सहरसा जेल में बंद हों लेकिन बिहार में महागठबंधन की सरकार बनते ही वे पटना में नजर आएं।
दरअसल आनंद मोहन को एक केस में पेशी के लिए पटना सिविल कोर्ट लाया गया था। रक्षाबंधन के दिन आनंद मोहन पुलिस अभिरक्षा में पटना में ही थे। पटना के पाटलिपुत्रा स्थित आवास पर वे पहुंचे थे। सहरसा जेल में होने के बजाय पुलिस की सुरक्षा में आनंद मोहन घर पर थे और परिवार और कार्यकर्ताओं से मिलते नजर आए थे।