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आनंद मोहन की रिहाई पर ओवैसी भड़के: कहा-क्या नीतीश पूरे देश के दलित समाज को बतायेंगे कि हमने दलित डीएम के हत्यारे को छोड़ दिया है

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR EXCLUSIVE Updated Thu, 27 Apr 2023 03:27:51 PM IST

आनंद मोहन की रिहाई पर ओवैसी भड़के: कहा-क्या नीतीश पूरे देश के दलित समाज को बतायेंगे कि हमने दलित डीएम के हत्यारे को छोड़ दिया है

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DESK: आनंद मोहन की रिहाई पर अब AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नीतीश कुमार पर हमला बोला है. ओवैसी ने कहा है कि एक दलित डीएम की बेरहमी से हत्या के दोषी को रिहा करना पूरी तरह गलत है. क्या नीतीश कुमार इसी रिहाई की बात कर 2024 में देश के लोगों से वोट मांगेगे.


ओवैसी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि नीतीश कुमार पूरे देश में विपक्षी एकता के नाम पर घुम रहे हैं और खुद को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बता रहे हैं. क्या वे 2024 के चुनाव में दलित समुदाय को बोलेंगे कि उन्होंने एक दलित अफसर की हत्या करने वाले व्यक्ति को छोड़ दिया. ओवैसी ने कहा कि वे फिर कह रहे हैं कि नीतीश कुमार बिना किसी नीति के विपक्षी एकता बनाने की बात कर रहे हैं.


बता दें कि आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नीतीश कुमार का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. जी. कृष्णैया के परिजनों ने इस फैसले का कडा विरोध किया है. वहीं आंध्र प्रदेश आईएएस एसोसिएशन ने गोपालगंज के पूर्व जिलाधिकारी स्वर्गीय जी कृष्णैया आईएएस की नृशंस हत्या के दोषियों को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है. 


एसोसियेशन ने कहा है कि आंध्र प्रदेश में एक विनम्र परिवार में जन्मे, जी. कृष्णय्या अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर आईएएस अधिकारी बने थे, जिसके बाद उन्हें बिहार कैडर आवंटित किया गया था. एक आईएएस अधिकारी के रूप में जी. कृष्णय्या ने हमेशा गरीबों और दलितों के पक्ष में फैसले लिए. यहां तक कि जिस दिन उनकी बेरहमी से हत्या की गई, उस दिन भी वे अपने बॉडी गार्ड को भीड़ से बचाने की कोशिश कर रहे थे.


एसोसियेशन ने कहा है कि ऐसे उत्कृष्ट अधिकारी के हत्यारे को रिहा करने की राज्य सरकार की कार्रवाई निंदनीय है. सरकार की इस तरह की कार्रवाई से न केवल आईएएस अधिकारियों बल्कि दूसरे सरकारी सेवकों के मनोबल पर भी गलत प्रभाव पड़ेगा. एक IAS अधिकारी देश की ईमानदारी और निष्ठा से सेवा करने के लिए संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेता है. 


वह सरकार के आदेश के अनुसार कर्तव्यों का पालन करता है. अगर ऐसे अधिकारी पर हमला होता है तो यह संविधान और राज्य को को खुली चुनौती है. यदि ऐसी चुनौती का सही तरीके से सामना नहीं किया गया तो यह संविधान की नींव को नष्ट कर देगा. ऐसे में बिहार सरकार का आदेश गलत है और इसने भविष्य के लिए खतरनाक मिसाल कायम की है