आनंद मोहन की रिहाई पर बोलने के लिए किताब-फोटो साथ लेकर आय़े नीतीश: बिहार में हमने कानून खत्म कर दिया तो क्या दिक्कत है

आनंद मोहन की रिहाई पर बोलने के लिए किताब-फोटो साथ लेकर आय़े नीतीश: बिहार में हमने कानून खत्म कर दिया तो क्या दिक्कत है

PATNA: डीएम हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन की रिहाई पर देश भर में उठ रहे सवालों का जवाब देने के लिए नीतीश कुमार अपने साथ किताब और फोटो दोनों लेकर घूम रहे थे. नीतीश कुमार आज एक कार्यक्रम से बाहर निकले तो मीडिया ने उन्हें घेरा. पूछा आनंद मोहन की रिहाई पर सवाल उठ रहे हैं. नीतीश कुमार ने जो कुछ कहा वह हम उनके ही शब्दों में आपके सामने रख रहे हैं. सारे शब्द वही और वैसे ही हैं, जैसे नीतीश कुमार ने बोला..


नीतीश कुमार बोले-“जेल से छुट्टी मिलती है. ये जरा बताइये न..एक आदमी के बारे में इतनी बात बोली जा रही है, इ हमको आश्चर्य लग रहा है. इसमें कौन सी ऐसी बात है..ऐसा कुछ नहीं है और इसके बारे में आप अच्छी तरह से जान लीजिये कि राज्य सरकार के चीफ सेक्रेट्री साहब ने कल ही सारी बातें बता दी है.”


नीतीश ने केंद्र सरकार की किताब निकाली

नीतीश कुमार आनंद मोहन पर जवाब देने के लिए अपने साथ किताब लेकर चल रहे थे. उन्होंने केंद्र सरकार का मॉडल विजन मैनुअल दिखाते हुए कहा-“ लेकिन अगर आप लोग इसको जानना चाहते हैं..जरा बताइये. आप सोच लीजिये, ये जो है केंद्र का जो घोषित हुआ था. आप समझ लीजिये, जो भी है. जो मॉडल विजन मैऩुअल 2016 में जारी हुआ केंद्र सरकार से. तो जरा देख तो लीजिये, ये 16 वाला है. इस कागज को देख लीजिये. कि आपको पता चलेगा क्या कि कोई आईएएस ऑफिसर का मामला हुआ तो उसमें उसको सब दिन रहने का प्रावधान है इसमें?”


15 साल हो गया तो हो गया

नीतीश कुमार ने कहा है कि ऐसा कानून और कौन राज्य में है. बिहार में था. लेकिन ये जब देखा गया कि ये है ही नहीं इसमें तो खत्म कर दिया गया. बताइये तो कितना दिन हो गया उसका. 15 साल से भी ज्यादा हो गया उसका. तो हो गया. और सब तरफ से राय लेकर किये हैं. बिहार में अब तक 2017 से अब तक 22 बार परिहार पर्षद का बैठक हुआ और 698 कैदियों को छोडा गया. और आप सोंच लीजिये कितनी बार केंद्र से ही आया है. आप समझिये कि 26 तारीख को, 26 जनवरी को, 15 आगस्त को औऱ बापू के जन्मदिवस पर, उन सब में कितने लोगों को छोड़ा जाता है.


नीतीश ने कहा- बिहार में था त बिहार में इसको खत्म कर दिया गया तो क्या दिक्कत है. (आईएएस के हत्यारे को नहीं छोडने का प्रावधान). आप जरा बताइये कि कोई डिफरेंस होना चाहिये. क्या सरकारी अधिकारी की हत्या और सामान्य आदमी की हत्या दोनों में फर्क रहना चाहिये. आज तक कहीं होता है. 27 का हुआ है त एक ही पर चर्चा हो रही है. किस बात पर चर्चा हो रही है. इसका तो कोई मतलब नहीं है.


सुशील मोदी की तस्वीर दिखायी

नीतीश कुमार अपने साथ सुशील मोदी की तस्वीर लेकर भी चल रहे थे. उन्होंने सुशील मोदी की आनंद मोहन के साथ तस्वीर दिखाते हुए कहा-इ आप लोग जरा फोटो देख लीजिये. जो बोल रहे हैं उनका कब का है. फोटुआ देख लीजिये. देख लीजिये कब का है.ये मांग कर रहे थे. कब-इसी महीने फरवरी में. त पूरा का पूरा देख न लीजिये. हमको तो आश्चर्य होता है. सब लोग इसका मांग करते थे. जब हो गया है तो विरोध कर रहे हैं.


नीतीश ने कहा कि 2016 में केंद्र ने बनाया था उसमें प्रावधान ही नहीं है. त बिहार में हट गया. सबके लिए बराबर हो गया. इसको ले कर के कोई विरोध करने का तुक ही नहीं है. हमको समझ में ही नहीं आ रहा है कि दो महीने पहले मांग कर रहे थे और दो महीना बाद विरोध कर रहे हैं.


माले की मांग पर विचार नहीं

जब नीतीश कुमार से सवाल पूछा गया कि उनकी सहयोगी पार्टी माले टाडाबंदियों को रिहा करने की मांग कर रही है तो उन्होंने कहा कि किसी पार्टी की मांग का कोई मतलब नहीं है. जो नियम है उसके तहत लोगों को ससमय छोड़ दिया जाता है. ये पॉलिटकिल चीज नहीं है कि इसमें कोई पॉलिटकिल पार्टी बोल रही है. मुख्यमंत्री ने अपने पास देश के कई राज्यों में उम्र कैद के बंदियों की रिहाई का आंकड़ा भी रखा था. उन्होंने सारे राज्यों का आंकड़ा गिनवाया कि सब राज्यों से कम बिहार में रिहाई हुई है.