PATNA : बिहार के अंदर शिक्षा विभाग के अंदर दावे तो बड़े-बड़े किए जाते हैं। लेकिन इसकी हकीकत क्या होती है उसकी झलक हर दिन किसी न किसी घटना को देखने के बाद मिल ही जाती है। अब खबर यह है कि बिहार में टीचरों को ट्रांसफ़र के लिए फॉर्म भरवाया जा रहा है। इसमें शिक्षा विभाग के तरफ से यह कहा गया है कि टीचर को अपने घर के पास जॉब मिलेगी। लेकिन, अब इसका हकीकत सामने आया है।
दरअसल, बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने मीडिया में आकर यह दावा किया था कि राज्य के अंदर शिक्षकों को उनके ही अनुमंडल के अंदर नौकरी दी जाएगी इस ट्रांसफ़र रूल के तहत। लेकिन, ऐसा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। हम यह बातें इस वजह से कह रहे हैं कि क्योंकि कई स्टूडेंट ने इसका खुलासा किया है।
एक स्टूडेंट अमित कुमार ने कहा कि शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर शिक्षा मंत्री के दिए गए बयान के बावजूद अभी तक कोई एक्शन नहीं हुआ है। बिहार के शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों को आश्वस्त किया था कि जिस जिले में एक अनुमंडल है, वहां दो डिवीजन बांटे जाएंगे और शिक्षकों को उनके जिले में ही पोस्टिंग दी जाएगी। शिक्षा मंत्री के आश्वासन के बाद पोर्टल पर दो डिवीजन का चॉइस ट्रायल के तौर पर शुरू तो हुआ लेकिन यह अमल नहीं हुआ। अभी भी ऐसे 8 जिलों के शिक्षकों को उस जिले में दो डिवीजन का विकल्प नहीं मिल पा रहा है।
वहीं अन्य स्टूडेंट साकेत कुमार ने कहा कि ट्रांसफर पोस्टिंग में सॉफ्टवेयर को लेकर दिक्कतें बरकरार हैं। इसके कारण हमलोग अभी भी परेशान हैं। वेबसाइट पर अब खुद और अपनी पत्नी का गृह अनुमंडल और पोस्टेड अनुमंडल का विकल्प तो दिख रहा है लेकिन फाइनल सबमिट करते वक्त उस विकल्प को गलत बताकर अलग अनुमंडल चुनने का विकल्प निर्देशित किया जा रहा है।
जबकि रानी कुमारी ने कहा कि महिला शिक्षिकाएं जिनका चॉइस पंचायत का विकल्प फाइनल सबमिट के बाद अपने आप बदल गया है, उस पर भी शिक्षा विभाग आज तक कुछ क्लियर नहीं किया है कि उनका क्या करना है। ऐसी शिक्षिकाएं सभी परेशान हैं। कई शिक्षिकाओं का सारा चॉइस अपने आप गायब हो गया है। वहीं कहीं शिक्षिकाओं का चॉइस बदल गया है।