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9 अक्टूबर से UP में लगातार हो रही VIP की रैली, भारी संख्या में पहुंच रहे हैं लोग, 2022 का यूपी चुनाव अपने दम पर लड़ेंगे: मुकेश सहनी

1st Bihar Published by: Updated Tue, 19 Oct 2021 06:34:06 PM IST

9 अक्टूबर से UP में लगातार हो रही VIP की रैली, भारी संख्या में पहुंच रहे हैं लोग, 2022 का यूपी चुनाव अपने दम पर लड़ेंगे: मुकेश सहनी

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DESK: विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के संस्थापक "सन ऑफ मल्लाह" मुकेश सहनी ने आज गाजीपुर में "निषाद जन चेतना रैली" को संबोधित किया। मुकेश सहनी 9 अक्टूबर से लगातार उत्तरप्रदेश के विभिन्न जनपदों में "निषाद जन चेतना रैली" को संबोधित कर रहे हैं। इस रैली में भारी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। निषाद समाज के लोगों ने मुकेश सहनी का जोरदार स्वागत किया। इस दौरान बड़ी संख्या में पार्टी के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भी मौजूद रहे। 


"निषाद जन चेतना रैली" को संबोधित करते हुए मुकेश सहनी ने कहा कि VIP पार्टी 2022 में अपने दमखम पर और अपने सिम्बल पर यूपी में चुनाव लड़ेगी। अभी नहीं तो कभी नहीं कि बात करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य व केंद्र सरकार दोनों जगह एक ही पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार है। वे चाहे तो हमारे आरक्षण के मांग को पूरा कर सकती हैं लेकिन अब समय जवाब देने का आ गया हैं। अगर निषाद समाज को आरक्षण नहीं मिला तो लड़ाई आर या पार की होगी।


 निषाद-कश्यप-बिन्द परजूनिया समाज ही नहीं 169 सीटों पर 40 हजार से 1.20 लाख वोटबैंक है। निषाद कटपीस नहीं थानवाली जातीय समूह है। आज़मगढ़ की मेंहनगर विधानसभा को छोड़ हर क्षेत्र में 10,20 हजार वोट है।उत्तर प्रदेश की 71 विधानसभा क्षेत्रों में 70 हजार से अधिक निषाद वोटर हैं।राजभर 22,चौहान 16,कुशवाहा/मौर्य/शाक्य/सैनी 43,यादव 52,लोधी 63,मुस्लिम 90,जाट 28-30,गूजर 13-15 व कुर्मी 56 सीटों पर प्रभावशाली हैं।


मुकेश सहनी ने कहा की अगर उत्तरप्रदेश की सरकार अपने वायदे के अनुसार 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण एवं निषाद मछुआरों का परम्परागत अधिकार नहीं दिया तो 2022 में निषाद समाज इनको अपनी ताकत दिखायेगा। अब वादा नहीं,अनुसूचित जाति आरक्षण का राजपत्र व शासनादेश चाहिए। मुकेश सहनी ने बताया कि 5 अक्टूबर, 2012 को केंद्र में मौजूदा सरकार द्वारा फिशरमेन विजन डाक्यूमेन्ट्स/मछुआरा दृष्टि पत्र जारी करते हुए वायदा किया था कि 2014 में अगर उनकी सरकार बनने पर आरक्षण की विसंगती को दूर कर निषाद मछुआरा जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिया  जाएगा व नीली क्रान्ति के माध्यम से आर्थिक विकास किया जायेगा।


"जब बिल्ली का मुंह गर्म दूध से जल जाता है,तो वह छाछ व मट्ठा भी फूँककर पीती है।" "अभी नहीं तो कभी नहीं" की बात करते हुए  उन्होंने कहा कि अगर उत्तरप्रदेश की सरकार इस समय आरक्षण नहीं देती है,तो उसके वादे पर विश्वास नहीं। 2 या 10 मंत्री बनाने से निषाद समाज के लोग किसी के जाल में नहीं फंसेंगे,इन्हें सिर्फ और सिर्फ आरक्षण का शासनादेश व अधिकार चाहिए। मुकेश सहनी ने यह स्पष्ट कर दिया कि वीआईपी पार्टी प्रदेश में किंग नहीं तो किंगमेकर निश्चित रूप से बनेगी और अगली सरकार का रिमोट कंट्रोल वीआईपी के हाथ में होगा। 


उन्होंने कहा  कि मझवार, तुरैहा, गोड़, बेलदार आदि राष्ट्रपति की प्रथम अधिसूचना जो 10 अगस्त, 1950 को जारी की गयी, उसमें अनुसूचित जाति में शामिल किया गया। उन्होंने इन जातियों को परिभाषित कर मल्लाह, केवट, मांझी, बियार, धीमर, धीवर, तुरहा, गोड़िया, रायकवार, कहार, बाथम आदि को अनुसूचित जाति का आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है।  निषाद समाज के परम्परागत पुश्तैनी पेशों को माफियाओं के हाथों नीलाम किया जा रहा है। मत्स्य पालन व बालू खनन के पेशों पर माफियाओं का एकछत्र राज कायम है। 


इसी क्रम में प्रदेश अध्यक्ष चौधरी  लौटनरा निषाद ने कहा की उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखण्ड की सरकारों ने मल्लाह, केवट, बिन्द, धीवर, धीमर, कहार, गोड़िया, तुरहा, बाथम, रायकवार, राजभर, कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा है। परन्तु केन्द्र सरकार ने गम्भीरता से नहीं लिया।


उन्होंने सेन्सस 2021 में जातिवार जनगणना व अनुच्छेद-15(4), 16(4) के तहत ओ.बी.सी. को कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका, पदोन्नति व निजी क्षेत्र के उपक्रमों में समानुपातिक आरक्षण कोटा की मांग की। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने रैली को संबोधित कर सेंसस 2021 में जातिगत जनगणना की बात करते हुए  कहा कि जब पेड़ों, जानवरों  की जनगणना करायी जाती है तो पिछड़ों और अगड़ों की क्यों नहीं?  कास्ट व क्लास सेन्सस हो जाएगा तो दूध का दूध व पानी का पानी हो जाएगा।