40 से ज्यादा केस के आरोपी आनंद मोहन का अच्छा आचरण: जेल में मारपीट, SSP से हाथापाई, मोबाइल रखने का केस, कोर्ट में पेशी के नाम पर ऐश, सरकार सब भूली

40 से ज्यादा केस के आरोपी आनंद मोहन का अच्छा आचरण: जेल में मारपीट, SSP से हाथापाई, मोबाइल रखने का केस, कोर्ट में पेशी के नाम पर ऐश, सरकार सब भूली

PATNA: बिहार सरकार ने डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन को जेल से रिहा कर दिया है. सरकार कह रही है कि जेल में आनंद मोहन के अच्छे आचरण को देखते हुए उन्हें रिहा किया गया है. आनंद मोहन 40 से ज्यादा आपराधिक मामलों के आरोपी रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि न्यायिक हिरासत में जेल में रहते हुए उन पर बेहद संगीन आरोप लगे. इन आरोपों में SSP के साथ हाथापाई, जेल में बंदी को मारने-पीटने, जेल में अवैध रूप से चार मोबाइल रखने, कोर्ट में पेशी के बहाने ऐश करने जैसे कई मामले शामिल है. ये सब वाकये तब हुए जब आनंद मोहन जेल में थे. लेकिन बिहार सरकार कह रही है कि जेल में रहते हुए आनंद मोहन का आचरण इतना अच्छा था कि उन्हें रिहा कर दिया गया.


वैसे तो आनंद मोहन पर 40 से ज्यादा संगीन मामले दर्ज हैं. लेकिन बिहार के जेल प्रशासन और पुलिस का रिकार्ड बताता है कि आनंद मोहन पर जेल में रहते हुए कई कारनामों को अंजाम देने का आरोप लगा. सरकार को आनंद मोहन से भी आशंका रही कि वे जेल में रहकर भी विधि व्यवस्था को बिगाड़ सकते हैं. लिहाजा उनका जेल ट्रांसफर भी किया गया. लेकिन सरकार अपने ही रिकार्ड को भूल गयी. हम बताते हैं कि जेल में रहते हुए आनंद मोहन पर क्या सब आरोप लगे. 


पटना के एसएसपी से हाथापाई 

वाकया 2006 का है. सहरसा जेल में बंद आनंद मोहन को देहरादून के केस में पेश होने के लिए वहां भेजा गया था. देहरादून से ट्रेन से लौटे आनंद मोहन को पटना रेलवे स्टेशन से उतर कर सीधे सहरसा जेल जाना था. लेकिन आनंद मोहन ने पटना रेलवे स्टेशन के पास एक होटल बुक करा लिया. इसकी जानकारी पटना के तत्कालीन एसएसपी कुंदन कृष्णन को लगी तो वे खुद छापेमारी करने पहुंच गये. आनंद मोहन ने पटना के एसएसपी पर ही हाथ चला दिया. इस वाकये के बाद आनंद मोहन को गिरफ्तार कर पटना के कोतवाली थाने में लाया गया और उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया.


जेल में कैदी की पिटाई

वाकया 17 अप्रैल 2014 का है. सहरसा जेल में उत्पात के बाद जेल प्रशासन को स्थिति संभालने के लिए पगली घंटी बजानी पड़ी. भारी संख्या में पुलिस बल बुलाकर स्थिति संभालनी पड़ी. पुलिस ने पाया कि दो बंदियों रोशन कुमार सिंह और सुमित कुमार को बर्बर तरीके से पीटा गया. सहरसा सदर थाने के थानाध्यक्ष सूर्यकांत चौबे ने दो कैदियों रोशन कुमार सिंह और सुमित कुमार के जख्मी होने की पुष्टि करते हुए कहा था कि घायल कैदियों ने पुलिस को दिए बयान में आनंद मोहन पर पिटाई करने का आरोप लगाया है. जख्मियों के बयान पर आनंद मोहन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. 


जेल में चार मोबाइल रखते थे आनंद मोहन

वाकया 23 अक्टूबर 2021 का है. सहरसा जेल के तत्कालीन अधीक्षक सुरेश चौधरी ने सदर थाने में एफआईआर दर्ज करायी कि आनंद मोहन के पास से चार मोबाइल फोन बरामद किया गया. डीएम और एसपी के निर्देश पर सहरसा जेल में छापेमारी हुई थी, जिसमें ये मोबाइल बरामद किये गये. इसके बाद जेल अधीक्षक ने आनंद मोहन के खिलाफ चोरी छिपे और छलपूर्वक मोबाइल ऱखने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. 


कोर्ट में पेशी के दौरान ऐश

वाकया 11 अगस्त 2022 का है. सहरसा जेल में बंद आनंद मोहन को पेशी के लिए पटना लाया गया था. कानून के मुताबिक उन्हें कोर्ट में पेश होकर सीधे सहरसा लौटना था. लेकिन वे जेल लौटने की बजाय पटना में अपने निजी आवास पर पहुंच गये. वहां परिवार और समर्थकों के साथ बैठक की. इसका वीडियो वायरल हुआ तो सरकार को कार्रवाई करने पर मजबूर होना पड़ा. सरकार ने जांच करायी तो मामला सही निकला. इसके बाद सहरसा जेल के वार्डन और संतरी के साथ साथ उन 6 पुलिसकर्मियों को भी निलंबित कर दिया गया, जो आनंद मोहन के साथ पटना आये थे. 


सर्किट हाउस में बितायी रात

सहरसा जेल से पटना आये उम्र कैद के सजायाफ्ता आनंद मोहन पर खगड़िया के सर्किट हाउस में रात बिताने का भी आरोप लगा. खगडिया सर्किट हाउस में उनका अपने समर्थकों से मिलने की तस्वीरें वायरल हुई थी. प्रशासन ने जांच कराया तो पता चला कि सर्किट हाउस में आनंद मोहन की पत्नी और पूर्व सांसद लवली आनंद के साथ साथ विधायक बेटे चेतन आनंद के नाम पर कमरा बुक कराया गया था.


सरकार को जेल में बंद आनंद मोहन से था खतरा

2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार सरकार को ही सहरसा जेल में बंद आनंद मोहन से खतरा था. लिहाजा आनंद मोहन को सहरसा जेल से भागलपुर स्पेशल सेंट्रल जेल भेज दिया गया था. सरकार का कहना था कि आनंद मोहन के सहरसा जेल में रहने से विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है. लिहाजा उन्हें दूसरे जेल में ट्रांसफर किया गया है. अपना जेल ट्रांसफर होने पर आनंद मोहन और उनके परिजनों ने खूब बयानबाजी भी की थी. 


सरकार ने अब कहा कि आचरण बेहद अच्छा

ये तो कुछ उदाहरण हैं. जेल में रहते हुए आनंद मोहन पर और भी आरोप लगे. लेकिन राज्य सरकार ही अब कह रही है कि आनंद मोहन का आचरण बेहद अच्छा था और उनके अच्छे आचरण को देखते हुए जेल से रिहा कर दिया गया है. आनंद मोहन की रिहाई पर सरकार का बचाव करने के लिए मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने प्रेस कांफ्रेंस किया था. मुख्य सचिव से पत्रकारों ने सवाल पूछा कि जेल में रहते हुए आनंद मोहन के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी तो फिर आचरण कैसे अच्छा रहा. मुख्य सचिव ने कहा- एफआईआर के बारे में मुझे नहीं पता है ओवरऑल रिकार्ड देख कर रिहा गया है, उसमें सारी बातों पर विचार किया गया है.