DESK: लॉकडाउन में बिहार के सीतामढ़ी जिले के रहने वाले 28 मजदूर मुंबई में फंस गए, लेकिन इनके पास खाने का पैसा नहीं बचा. 6 दिन तक सभी बिस्किट और पानी के सहारे जिंदा रहे. परेशान होकर सभी मुंबई से एक हजार किमी दूर पहुंचे तो उनको भरपेट खाने का भोजन मिला.
सभी मैजिक से आ रहे थे सीतामढ़ी
सभी मजदूर उलासनगर में किसी तरह से एक मैजिक से चले. वह जैसे ही यूपी के ललितपुर करीब एक हजार किमी दूर पहुंचे तो सभी को रोक लिया गया. मजदूरों की जांच की गई. इस दौरान मजदूरों के खाना खिलाया गया. जब अधिकारियों ने पूछा इनलोगों से पूछा तो मजदूरों के आंखों से आंसू आ गए और बताया सभी 6 दिन से सिर्फ बिस्किट और पानी पर जिंदा है. यहां पर भरपेट भोजन हमलोगों को मिला है. ललितपुर में सभी मजदूरों को शेल्टर होम में रखा गया है. कुछ को जांच के लिए भेजा गया है.
भोजन देने में भी हुआ भेदभाव
इन मजदूरों आरोप लगाया कि इस संकट की घड़ी में मुंबई में उनलोगों के पास कई संस्थाएं पहुंची, लेकिन सभी का नाम और पता लिखकर ले जाती थी. खाद्यान नहीं दिया जाता था, भोजन देने में भी भेदभाव किया जाता था. सिर्फ महाराष्ट्र के रहने वाले लोगों को ही संस्थाए भोजन देती थी.
सीतामढ़ी के रहने वाले हैं सभी
सभी मजदूर सीतामढ़ी के सुंदरनगर के रहने वाले हैं. सभी मुंबई में डी मार्ट कंपनी में काम करते थे. लेकिन कंपनी ने भी संकट में साथ नहीं दिया. ललतीपुर से सीतामढ़ी की दूरी करीब एक हजार और है, लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए फिलहाल ललितपुर में अधिकारियों ने शेल्टर होम में रखा है. जांच के लिए सैंपल भेजा गया है. बता दें कि लॉकडाउन के कारण बिहार के कई जिलों के मजदूर देश के कई शहरों में फंसे हुए हैं. करीब डेढ़ लाख लॉकडाउन के दौरान बिहार आ भी चुके हैं.