236 साल का हो गया गोलघर, जानिए क्यों खास है बिहार का यह ऐतिहासिक धरोहर

236 साल का हो गया गोलघर, जानिए क्यों खास है बिहार का यह ऐतिहासिक धरोहर

PATNA : दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक पटना का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है. पटना हजारों साल तक कई महान सम्राटों की राजधानी रहा है. गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर कई ऐतिहासिक स्मारकों, धरोहरों और विरासत स्थलों का स्थल रहा है. पटना में गांधी मैदान के पश्चिम में एक ऐसी ही ऐतिहासिक धरोहर गोलघर है. गोलघर को बिहार की पहचान कहा जाता है. आज 20 जुलाई साल 2022 को इस ऐतिहासिक धरोहर ने अपना 236 साल पूरा कर लिया है.


1770 में आई भयंकर सूखे के दौरान करीब एक करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हुए थे. तभी तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई. ब्रिटिश इंजिनियर कप्तान जॉन गार्स्टिन ने अनाज के भंडारण के लिए गोल ढांचे का निर्माण 20 जनवरी 1784 को शुरू किया. ब्रिटिश फौज के लिए इसमें अनाज सुरक्षित रखने की योजना थी. इसका निर्माण कार्य ब्रिटिश राज में 20 जुलाई 1786 को पूरा हुआ. इसमें एक साथ 1,40,000 टन अनाज रखने की क्षमता है.


इस विशाल इमारत के निर्माण में सीमेंट पिलर्स का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसका आकार 125 मीटर है. ऊंचाई 29 मीटर और दीवारों की मोटाई 3.6 मीटर है. गोलघर के शिखर पर तीन मीटर पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. शीर्ष पर 2.7 फीट व्यास का छिद्र है जहां से इसके अंदर अनाज डाला जाता था. गोलघर के शीर्ष पर पहुंचने के लिए 145 सीढियां हैं. गोलघर के हाइट यानी शिखर पर करीब तीन मीटर तक ईंट की जगह पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. गोलघर के शीर्ष पर दो फीट 7 इंच व्यास का छिद्र अनाज डालने के लिये छोड़ा गया था. जिसे बाद में भर दिया गया. यहां से खूबसूरत पटना शहर दिखता है. 


बता दें कि वर्ष 2011 में गोलघर की दीवारों में दरारें दिखने लगी थीं. इसके बाद राज्य सरकार ने इसके संरक्षण का निर्णय लिया था. इसके संरक्षण की जिम्‍मेदारी भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग को सौंपा गया है. इसके सरक्षण के लिए सरकार ने कई नियम भी लगाए है. पहले गोलघर पर आम लोगों को चढ़ने की अनुमति थी लेकिन अब इसके ऊपर चढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.