PATNA : दूध उत्पादन में बिहार ने देशभर में छठा स्थान हासिल किया है. यहां प्रतिदिन 19.41 लाख लीटर दूध का संग्रह और 15 लाख लीटर की मार्केटिंग हो रही है. सरकार ने लक्ष्य रखा है कि हर एक साल 6.42 लाख मछली उत्पादन के साथ बिहार शीघ्र ही आत्मनिर्भर हो जायेगा. सचिवालय सभागार में बजट पूर्व परिचर्चा की छठी बैठक मंगलवार को आयोजित की गई.
डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने बताया कि पशुपालन विभाग का बजट विगत 15 वर्षों में 2005-06 के 73.16 करोड़ से बढ़ कर 2019-20 में 953.25 करोड़ हो गया है. दूध उत्पादन में बिहार का स्थान देश में छठे स्थान पर है. उन्होंने कहा कि 12 से 27 फरवरी तक प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत निबंधित 60 लाख किसानों को किसान के्रडिट कार्ड (केसीसी) देने के लिए चलाये जा रहे विशेष अभियान से पशु और मछली पालकों को भी जोड़ा जायेगा. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की सहायता से पूर्णिया में 50 लाख क्षमता का फ्रोजेन सिमेन स्टेशन तथा राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत गायों के देशी नस्लों के संवर्द्धन हेतु डुमरांव में भ्रूण हस्तांतरण प्रोद्योगिकी परियोजना प्रारंभ की गई है.
इस बैठक को कृषि और पशुपालन मंत्री डा. प्रेम कुमार ने भी संबोधित किया. उन्होंने बताया कि कृषि के साथ पशुपालन प्रक्षेत्र सरकार की प्राथमिकता में है. अंडा और दूध की खपत बढ़ाने के लिए इसे आंगनबाड़ी और स्कूलों में संचालित मध्याह्न भोजन योजना से जोड़ा गया है. 2019-20 में एफएमडी बीमारियों की रोकथाम के लिए 3.30 करोड़ तथा एचएस बीक्यू के लिए 1.65 करोड़ पशुओं व 51 लाख भेड़-बकरियों का टीकाकरण किया गया है.
इस बैठक में शामिल पशु, मुर्गी व मछली पालक किसानों ने अंडा की कीमत नियंत्रित करने, बाजार उपलब्ध कराने, मछलियों की बीमारी ज्ञात करने के लिए लैब स्थापित करने, मछली बीज और चारा के प्रमाणीकरण आदि के सुझाव दिए. बैठक में वित्त विभाग के प्रधान सचिव एस. सिद्धार्थ, पशु और मत्स्य संसाधन विभाग के प्रधान सचिव एन विजय लक्ष्मी सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे.