India-Russia Defense Deal: भारत-रूस डिफेंस डील से कराह उठा अमेरिका, कहा "यह तो दोस्ती निभाने का तरीका बिल्कुल नहीं" RJD MLC Sunil Singh: राजद एमएलसी सुनील सिंह पर 43 लाख लेने का आरोप ... ना दाल दी और ना कोई जवाब दिया – FIR दर्ज Bihar News: राजस्व विभाग के कर्मचारियों को नया दर्जा, सैलरी बढ़ोतरी समेत पदनाम भी बदलेगा IPL 2025 Final: फाइनल से ठीक पहले PBKS को योगराज सिंह की सलाह, कहा "ये काम करो और ट्रॉफी तुम्हारी" Patna News: क्यों संकट में है पटना का राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज? वेबसाइट बंद होने से खतरे में मान्यता Bihar Crime News: मौलवी के प्यार को ठुकराना महिला टीचर को पड़ा भारी, किराए के हत्यारों से करवाया पिता का मर्डर Bihar news: कार के सनरूफ से सिर निकालना पड़ सकता है भारी, अब पटना पुलिस करेगी सख्त कार्रवाई Bihar Land Purchase: जमीन खरीदने में नहीं चाहिए कोई विवाद तो हमेशा करें यह 3 काम, बाद में नहीं आएगी रोने की नौबत Bihar Teacher Transfer: तबादला न चाहने वाले शिक्षकों के पास मौका, इस दिन तक कर लीजिए बस ये काम Road Accident: भीषण सड़क हादसे में एक की मौत, तीन गंभीर रूप से घायल
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 29 Mar 2025 02:47:54 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google
Iron Deficiency in Bihar: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के अनुसार, बिहार में महिलाओं और बच्चों में आयरन की कमी यानी एनीमिया की समस्या तेजी से बढ़ रही है। राज्य में 6 महीने से 5 साल तक के 69.4% बच्चे और 15 से 49 साल की 64% महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 30% है। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, जिससे व्यक्ति को कमजोरी, थकान और रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर आयरन की कमी इसकी प्रमुख वजह होती है, लेकिन मलेरिया, हुकवर्म संक्रमण, खराब पोषण और आनुवंशिक कारण (Genetic) भी इसे बढ़ा सकते हैं। आपको बता दे कि इस समस्या का सबसे अधिक असर महिलाओं और बच्चों पर पड़ता है। गर्भवती महिलाओं में एनीमिया से कई स्वास्थ्य जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे गर्भावस्था के दौरान जोखिम बढ़ जाता है और नवजात शिशु का वजन सामान्य से कम हो सकता है। वहीं, बच्चों में यह उनकी मानसिक और शारीरिक वृद्धि को प्रभावित करता है, जिससे उनकी पढ़ाई और खेल-कूद की क्षमता भी बेहद कम हो जाती है।
NFHS-5 के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में एनीमिया के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले सर्वेक्षण की तुलना में बच्चों में एनीमिया की दर 63.5% से अधिक हो चुकी है। बिहार की महिलाओं में एनीमिया की दर भी बढ़कर 63.5% हो गई है, जबकि पुरुषों में यह दर 32.3% से कुछ हद तक घटी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बिहार में गंभीर एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को उचित इलाज की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच और जागरूकता की कमी इस समस्या को और बढ़ा रही है। महिलाओं को एनीमिया के खतरों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होने के कारण वे सही समय पर उपचार नहीं करा पातीं।
बिहार में एनीमिया का एक प्रमुख कारण असंतुलित खान-पान और पोषण की कमी है। खासतौर पर जंक फूड की बढ़ती आदतों और पोषक तत्वों से भरपूर आहार के अभाव के कारण यह समस्या गंभीर होती जा रही है। इसके अलावा, संक्रमण और बीमारियां जैसे हुकवर्म और अन्य परजीवी संक्रमण भी एनीमिया को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं। इस समस्या से बचने के लिए संतुलित आहार बेहद जरूरी है। हरी सब्जियां, दाल, अंडे, मांस, गुड़ और अन्य आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। डॉक्टर की सलाह से आयरन की गोलियां लेनी चाहिए और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सुरक्षित पेयजल का उपयोग और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच करवाना भी एनीमिया को रोकने के लिए आवश्यक कदम हैं।
हालाँकि ,बिहार सरकार एनीमिया की समस्या को कम करने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिनमें पोषण अभियान और आयरन सप्लीमेंटेशन कार्यक्रम शामिल हैं। लेकिन ये पर्याप्त नही है |इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार और जनता दोनों को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। सही पोषण, जागरूकता और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से ही बिहार में एनीमिया की समस्या को दूर किया जा सकता है, जिससे महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर और भविष्य सुरक्षित हो सके ।