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पुणे में तेंदुए का आतंक: गले में लोहे की कीलों वाला कॉलर पहनकर किसान कर रहे खेती, 20 दिनों में 3 मौतें

लगातार हो रही मौतों के बाद किसान सुरक्षा के लिए गले में लोहे की कीलों वाला कॉलर पहनकर खेतों में काम कर रहे हैं। ग्रामीणों ने स्कूल का समय बदलने और सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 22 Nov 2025 05:23:03 PM IST

महाराष्ट्र

- फ़ोटो सोशल मीडिया

DESK: पुणे के कई गांवों में तेंदुए के लगातार हमलों ने ग्रामीणों में भय का माहौल बना दिया है। हालात ऐसे हो गए हैं कि अब किसान खेतों में काम करने जाते समय अपनी सुरक्षा के लिए गले में लोहे की कीलों वाला स्पाइक कॉलर पहनने को मजबूर हैं।


पिंपरखेड़ गांव के विठ्ठल रंगनाथ जाधव ने बताया कि हम तेंदुए के डर से गले में स्पाइक वाला कॉलर पहनते हैं। तेंदुआ कभी भी आ जाता है। खेती हमारा इकलौता रोजगार है, डर के कारण घर में बैठ नहीं सकते। एक महीना पहले मेरी मां तेंदुए का शिकार बनी थीं। तेंदुए का रोज दिखना आम बात हो गई है। उन्होंने बताया कि उनकी मां सुबह चारागाह के लिए गाय-भैंस को चारा डालने निकली थीं, तभी तेंदुए ने उन पर हमला कर दिया और करीब एक किलोमीटर तक गन्ने के खेत में घसीटकर ले गया।


गांव के एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि तेंदुए के लगातार हमलों ने पूरे गांव की दिनचर्या बिगाड़ दी है। लोग अब खेती करने भी समूह बनाकर जाते हैं। गले में लोहे की कीलों वाला कॉलर पहनना आम हो गया है। स्कूलों के समय में बदलाव की मांग हो रही है—सुबह 9 बजे की जगह दोपहर में शुरू करने की बात चल रही है।


20 दिनों में 3 लोगों की मौत

बीते 20 दिनों में पिंपरखेड़ और आसपास के क्षेत्रों में तेंदुए के हमले में तीन ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। 5 साल की बच्ची, 82 वर्षीय महिला और 13 साल के लड़के की मौत हो गयी है। 5 नवंबर को वन विभाग की टीम ने एक नरभक्षी तेंदुए को मार गिराया था, लेकिन क्षेत्र में अभी भी अन्य तेंदुए सक्रिय हैं, जिसके कारण लोगों में डर बना हुआ है।


वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पुणे के कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट आशीष ठाकरे ने तेंदुए को न्यूट्रलाइज करने की विशेष अनुमति प्राप्त कर ली है। इसके लिए वेटरनरी डॉक्टर सात्विक पाठक और शार्पशूटर्स जुबिन पोस्टवाला व डॉ. प्रसाद दाभोलकर की टीम तैनात की गई है।