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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 05 May 2025 02:13:04 PM IST
नरेंद्र मोदी, शहबाज और अमरुल्लाह सालेह - फ़ोटो Google
India Pakistan Tension: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। भारत ने इस हमले का ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ा है, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हुई थी। इसके जवाब में भारत ने सख्त कदम उठाए, जैसे सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी-वाघा सीमा बंद करना, और पाकिस्तानी नागरिकों को देश से निकालना। इन कदमों से पाकिस्तान में युद्ध का डर बढ़ गया है। इसी बीच, अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने एक बयान देकर पाकिस्तान पर तंज कसा है, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है।
इस बारे में बात करते हुए अमरुल्लाह सालेह ने कहा "भारत ने अपने दुश्मन को सजा देने के लिए इलेक्ट्रिक कुर्सी का इस्तेमाल करने की बजाय उसके गले में एक बहुत लंबी रस्सी डाल दी है।" उनका इशारा साफ है.. भारत एक झटके में कार्रवाई करने के बजाय धीरे-धीरे पाकिस्तान को कमजोर कर रहा है। सालेह की यह टिप्पणी भारत की कूटनीतिक और रणनीतिक कार्रवाइयों की तारीफ जैसी प्रतीत होती है। इन कार्रवाइयों में सिंधु जल संधि को निलंबित करना, एयरस्पेस बंद करना, और कूटनीतिक संबंधों को सीमित करना भी शामिल है।
हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब सालेह ने पाकिस्तान पर निशाना साधा है। पहलगाम हमले के तुरंत बाद उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए कहा था "आतंकवाद के खिलाफ खोखली सांत्वना पर यकीन करना बेवकूफी होगी। जब आप सचमुच आतंक के खिलाफ लड़ेंगे, तो कई लोग अपने हाथ पीछे खींच लेंगे और कुछ अपने फायदे के लिए उसी आतंकवाद का समर्थन करेंगे।" इसके अलावा, जब पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने आतंकवाद को समर्थन देने की बात कबूली थी, सालेह ने तंज कसते हुए कहा, "मेरा सवाल यह है कि क्या आपने इस कॉन्ट्रैक्ट को किसी नए ग्राहक के साथ साइन किया है, या पुराने ग्राहक के साथ ही रिन्यू करवाया है?"
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अमरुल्लाह सालेह अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत से हैं। वे अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति रह चुके हैं और तालिबान के कट्टर विरोधी हैं। 1996 में तालिबान ने उनकी बहन की हत्या कर दी थी, जिसके बाद से वे तालिबान के खिलाफ सक्रिय हो गए। सालेह ने अहमद शाह मसूद के नेतृत्व में एंटी-तालिबान मूवमेंट में हिस्सा लिया। 2021 में तालिबान के तख्तापलट के बाद उन्होंने पंजशीर में प्रतिरोध का नेतृत्व किया, लेकिन बाद में उन्हें देश छोड़ना पड़ा। सालेह ने तालिबान और पाकिस्तान की सांठगांठ को बार-बार उजागर किया है।