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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 14 Oct 2025 07:19:28 AM IST
बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक समीकरणों में लगातार हलचल तेज होती जा रही है। इस बार की सबसे दिलचस्प हलचल महागठबंधन के भीतर देखने को मिल रही है। राजद और कांग्रेस के रिश्तों में दरार की खबरें अब महज अटकलें नहीं रह गई हैं, बल्कि इन संकेतों को खुद दोनों दलों के नेताओं की सोशल मीडिया पोस्ट ने और मजबूत कर दिया है।
दरअसल, राजद ने अपने उम्मीदवारों को पार्टी का चुनाव चिन्ह (सिंबल) देना शुरू कर दिया है, जबकि सीट बंटवारे को लेकर आधिकारिक ऐलान अभी तक नहीं हुआ है। यह कदम इस बात की ओर साफ इशारा कर रहा है कि दिल्ली में कांग्रेस और राजद के बीच सीट शेयरिंग पर बातचीत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अधिक सीटों की मांग कर रही थी, जबकि राजद अपनी परंपरागत सीटों से पीछे हटने को तैयार नहीं है।
इस राजनीतिक गतिरोध के बीच अब दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं की ‘शायराना जंग’ सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बन गई है। राजद के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा* ने अपने ‘X’ अकाउंट पर रहिम के दोहे पोस्ट किए “रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो छिटकाय, टूटे से फिर न मिले, मिले गांठ पड़ि जाए।” उनकी इस पोस्ट को राजनीति के गलियारों में राजद-कांग्रेस रिश्तों की खटास के रूप में देखा जा रहा है। मनोज झा का यह दोहा इशारा कर रहा है कि अगर महागठबंधन के रिश्तों का ‘प्रेम धागा’ टूट गया, तो उसे फिर से जोड़ना मुश्किल होगा, और अगर जोड़ा भी गया तो ‘गांठ’ रह जाएगी।
मनोज झा की इस पोस्ट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने लिखा “अपनी आंख में भरकर लाया जा सकता है अब भी, जलता शहर बचाया जा सकता है।” इमरान का यह जवाब सियासी गलियारों में इस संदेश के रूप में लिया जा रहा है कि अब भी रिश्ते बचाने की गुंजाइश बाकी है, अगर दोनों दल थोड़ी नरमी दिखाएं तो ‘महागठबंधन का शहर’ जलने से बच सकता है।
हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब बिहार में चुनावी मौसम में महागठबंधन के भीतर मतभेद की खबरें सामने आई हों। पिछले चुनावों में भी सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच लंबे समय तक खींचतान चली थी। लेकिन इस बार स्थिति ज्यादा पेचीदा मानी जा रही है क्योंकि जनता दल (यूनाइटेड) के एनडीए में लौटने के बाद राजद के लिए कांग्रेस की भूमिका और भी अहम हो गई है।
बिहार में महागठबंधन के लिए यह संकट की घड़ी है। एक तरफ एनडीए ने अपने सीट बंटवारे पर मुहर लगा दी है और प्रचार अभियान भी तेज कर दिया है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन अब भी अंदरूनी कलह में उलझा हुआ है।
राजद और कांग्रेस के बीच यह “शायराना जंग” भले ही शब्दों की लड़ाई लग रही हो, लेकिन इसका सीधा असर चुनावी रणनीति पर पड़ सकता है। आने वाले कुछ दिनों में यह तय होगा कि यह तकरार महज चुनावी ‘ड्रामा’ थी या फिर वास्तव में महागठबंधन में ‘टूट’ की शुरुआत हो चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह मतभेद सुलझे नहीं, तो विपक्षी एकता को बड़ा झटका लग सकता है। राजद अपने दम पर मैदान में उतरने की तैयारी में दिख रही है, जबकि कांग्रेस भी इस बार संगठनात्मक रूप से ज्यादा सक्रिय नजर आ रही है।
बिहार की सियासत में यह चुनाव सिर्फ वोट की लड़ाई नहीं, बल्कि गठबंधन की विश्वसनीयता की भी परीक्षा बनने जा रहा है। महागठबंधन के नेताओं के बीच यह शायराना संवाद कहीं सियासी बिखराव का संकेत तो नहीं यह आने वाला वक्त ही बताएगा।