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64 वर्ष की उम्र में 28 आपराधिक मामले और करोड़ों की गाड़ियों का शौक; जानिए दुलारचंद हत्याकांड मामले में चर्चा में आए अनंत सिंह का क्या रहा है इतिहास; क्या रहा लगातार जीत का समीकरण

मोकामा में फिर बाहुबल और सियासत का संगम दिख रहा है। जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह और आरजेडी प्रत्याशी वीणा देवी के बीच मुकाबला चरम पर है। चुनावी माहौल में दुलारचंद यादव की हत्या ने तनाव और बढ़ा दिया है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 31 Oct 2025 02:22:46 PM IST

64 वर्ष की उम्र में 28 आपराधिक मामले और करोड़ों की गाड़ियों का शौक; जानिए दुलारचंद हत्याकांड मामले  में चर्चा में आए अनंत सिंह का क्या रहा है इतिहास; क्या रहा लगातार जीत का समीकरण

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Anant Singh : बिहार की सियासत में अगर बाहुबल की बात हो और मोकामा का जिक्र न आए, तो तस्वीर अधूरी रह जाती है। मोकामा की पहचान बाहुबली नेताओं से रही है और इस बार भी चुनावी अखाड़े में वही पुराना मंजर लौट आया है। अनंत सिंह उर्फ ‘छोटे सरकार’ एक बार फिर सुर्खियों में हैं। 64 वर्ष की उम्र में भी उनका कद और रुतबा कम नहीं हुआ है। चाहने वाले अब उन्हें ‘दादा’ कहकर पुकारते हैं। इस बार वे जेडीयू के उम्मीदवार हैं, जबकि उनके खिलाफ आरजेडी से सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी मैदान में हैं। मुकाबला दो बाहुबली घरानों के बीच है, और मोकामा की जमीन एक बार फिर सत्ता और शक्ति के संघर्ष की गवाह बन रही है।


गुरुवार को चुनाव प्रचार के दौरान मोकामा में हुई हिंसा ने माहौल को और गर्मा दिया है। घोसवरी थाना क्षेत्र के बासवान चक में दो गुटों की भिड़ंत में जन सुराज पार्टी के कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की हत्या कर दी गई। दुलारचंद, जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के समर्थन में प्रचार कर रहे थे। इस हत्या का आरोप अनंत सिंह पर लगाया गया है, हालांकि अनंत सिंह ने इसे सूरजभान सिंह की साजिश बताया है। लेकिन इस घटना ने मोकामा की चुनावी सूरत को खूनी बना दिया है।


मोकामा में बाहुबलियों के बीच टकराव नया नहीं है। यह इलाका हमेशा से गैंगवार और राजनीतिक रंजिशों के लिए कुख्यात रहा है। खुद अनंत सिंह ने अपने हलफनामे में 28 आपराधिक मामलों का जिक्र किया है। इसके बावजूद वे इलाके के सबसे प्रभावशाली चेहरों में गिने जाते हैं। अनंत सिंह की लोकप्रियता और डर, दोनों का अपना अलग स्थान है।


चुनावी प्रचार के दौरान अनंत सिंह हमेशा अपने अंदाज में नजर आते हैं। गुरुवार को वे 2.70 करोड़ रुपये की टोयोटा लैंड क्रूजर में प्रचार करते दिखे। उनके काफिले में अक्सर 30 से अधिक गाड़ियां होती हैं। यह भी कहा जाता है कि वे केवल गाड़ियों के नहीं, बल्कि घोड़े और हाथी के भी शौकीन हैं। विधानसभा के दिनों में उनकी बग्घी से की गई एंट्री ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं।


अनंत सिंह सिर्फ बाहुबल के नहीं, संपत्ति के भी ‘बाहुबली’ हैं। उनके और उनकी पत्नी नीलम देवी के पास कुल संपत्ति लगभग 100 करोड़ रुपये की है। अनंत सिंह के पास चल संपत्ति 26.66 करोड़ रुपये और अचल संपत्ति 11.22 करोड़ रुपये की है। वहीं उनकी पत्नी नीलम देवी के पास चल संपत्ति 13.07 करोड़ रुपये और अचल संपत्ति 49.65 करोड़ रुपये की है। हालांकि, इन दोनों पर कर्ज का भी बोझ है—अनंत सिंह पर 27.49 करोड़ और नीलम देवी पर 23.51 करोड़ रुपये का।


दोनों पति-पत्नी के पास करीब 91 लाख रुपये के जेवरात हैं। अनंत सिंह के पास 150 ग्राम सोना है, जिसकी कीमत लगभग 15 लाख रुपये है, जबकि नीलम देवी के पास 701 ग्राम सोना और 6.3 किलो चांदी है। इसके अलावा अनंत सिंह ने बॉन्ड, शेयर बाजार और कंपनियों में करीब 10 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जबकि नीलम देवी का निवेश 21 लाख रुपये का बताया गया है।


पशु-पालन में भी अनंत सिंह की दिलचस्पी किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने अपने हलफनामे में बताया है कि उनके पास गाय, भैंस और हाथी हैं, जिनकी अनुमानित कीमत करीब 1.90 लाख रुपये है। उनके पास तीन लग्जरी SUV हैं, जिनकी कीमत 3.23 करोड़ रुपये है। नीलम देवी के पास भी तीन कारें हैं, जिनकी कुल कीमत 77.62 लाख रुपये है। नकदी की बात करें तो अनंत सिंह के पास 15.61 लाख रुपये और उनकी पत्नी के पास 34.60 लाख रुपये नकद हैं।


राजनीतिक इतिहास की बात करें तो अनंत सिंह ने पहली बार 1990 में विधानसभा चुनाव जीता था। तब से वे पांच बार मोकामा सीट से विधायक रह चुके हैं। 2020 के चुनाव में जब वे जेल में थे, तो उनकी पत्नी नीलम देवी ने आरजेडी के टिकट पर मोकामा सीट जीती थी। हालांकि, बाद में नीलम देवी ने एनडीए सरकार को समर्थन दे दिया था, जिससे मोकामा की राजनीति में बड़ा बदलाव आया। अब 2025 के चुनाव में एक बार फिर अनंत सिंह खुद मैदान में हैं और सीधे आरजेडी से भिड़ रहे हैं।


मोकामा में इस बार मुकाबला सिर्फ दो प्रत्याशियों के बीच नहीं, बल्कि दो बाहुबली परंपराओं के बीच है। एक तरफ अनंत सिंह हैं, जिनकी पकड़ इस इलाके पर तीन दशक से है, तो दूसरी ओर सूरजभान सिंह का परिवार है, जिसकी पत्नी वीणा देवी भी राजनीतिक अनुभव रखती हैं। दोनों के समर्थकों के बीच तनातनी लगातार बढ़ रही है।


पहले चरण के तहत 6 नवंबर को यहां मतदान होना है, लेकिन उससे पहले ही मोकामा की गलियों में गोलियों की गूंज और राजनीति के रंग मिलकर एक बार फिर बिहार की पुरानी छवि को सामने ला चुके हैं—जहां चुनाव सिर्फ वोटों का नहीं, बल्कि वर्चस्व और ताकत के प्रदर्शन का खेल बन जाता है। अब देखना यह है कि मोकामा की जनता इस बार बाहुबल के इतिहास को आगे बढ़ाती है या बदलाव की नई पटकथा लिखती है।