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Lalu family dispute : आज नहीं, बल्कि इतने सालों से लालू को नज़रअंदाज़ कर रहे थे तेजस्वी; राष्ट्रीय अध्यक्ष के मना करने के बावजूद भी करते थे मनमौजी; अब वायरल हुआ वीडियो

बिहार की राजनीति में लालू परिवार फिर सुर्खियों में है। तेज प्रताप के अलग होने, रोहिणी आचार्य के आरोपों और तेजस्वी के पुराने वायरल वीडियो ने राजद में गहरे मतभेदों को उजागर कर दिया है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 17 Nov 2025 09:56:46 AM IST

Lalu family dispute : आज नहीं, बल्कि इतने सालों से लालू को नज़रअंदाज़ कर रहे थे तेजस्वी; राष्ट्रीय अध्यक्ष के मना करने के बावजूद भी करते थे मनमौजी; अब वायरल हुआ वीडियो

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Lalu family dispute : बिहार की राजनीति में इन दिनों लालू प्रसाद यादव का परिवार लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। वजह भी गंभीर है—राजद की करारी चुनावी हार, तेज प्रताप यादव का परिवार छोड़कर नई पार्टी बनाना, और तेजस्वी यादव पर लगे आरोपों ने मिलकर पूरे राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। परिवार के भीतर चल रही खींचतान जहां राजद की रणनीति पर सवाल खड़े कर रही है, वहीं सोशल मीडिया पर वायरल एक पुराना वीडियो इस विवाद को और गहरा कर रहा है। वीडियो के आधार पर यह दावा किया जा रहा है कि तेजस्वी यादव अपने पिता लालू प्रसाद यादव की बातों को वर्षों से अनसुना करते रहे हैं।


तेज प्रताप की नाराज़गी और चुनावी हार

सबसे पहले विवाद तब उभरा जब लालू यादव के बड़े बेटे, तेज प्रताप यादव, परिवार और पार्टी दोनों से अलग होकर राजनीतिक रूप से स्वतंत्र रास्ता चुनने लगे। उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाई और बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया। यह निर्णय पहले से ही कमजोर चल रही राजद के लिए बड़ा झटका था।


जब चुनावी नतीजे आए तो स्थिति और भी खराब निकली। कभी बिहार की मजबूत राजनीतिक शक्ति मानी जाने वाली राजद महज 24 सीटों पर सिमट गई। हार के बाद रणनीति और नेतृत्व पर सवाल उठने लगे। बैठकें, समीक्षा, मंथन—सब शुरू हुआ, लेकिन इससे पहले ही एक और बड़ा बवाल खड़ा हो गया।


रोहिणी आचार्य के आरोपों ने खोली नई बहस

लालू परिवार की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया के जरिए चौंकाने वाले आरोप लगाए। रोहिणी ने दावा किया कि तेजस्वी यादव के निजी सलाहकार संजय यादव, उनके सहायक रमीज ने उन्हें परिवार से दूर किया, और जब उन्होंने सवाल उठाया तो उन पर चप्पल उठाई गई और गालियां दी गईं।


इन आरोपों ने तत्काल राजनीतिक हलके में भूचाल ला दिया। सवाल उठने लगे—जब इतने गंभीर घटनाक्रम हो रहे थे, तब परिवार के मुखिया लालू यादव चुप क्यों रहे? क्या वे वास्तव में स्थिति को नियंत्रित नहीं कर पा रहे थे?


वायरल वीडियो ने बढ़ाई चर्चा – क्या 2017 से ही तेजस्वी नहीं मानते थे लालू की बात?

इन्हीं सवालों के बीच अब सोशल मीडिया पर 2017 का एक पुराना वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें लालू यादव और तेजस्वी यादव राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान मीडिया से घिर जाते हैं। वीडियो में दिखता है कि एक भ्रष्टाचार से जुड़े सवाल पर तेजस्वी यादव अचानक उग्र होकर पत्रकारों से उलझने लगते हैं। वे एक चैनल को “एंटी नेशनल” कहते हुए सवाल उठाते हैं कि उन्हें अंदर आने की अनुमति किसने दी।


इस पूरे घटनाक्रम के दौरान लालू यादव कई बार तेजस्वी को शांत रहने और चुप रहने के लिए कहते नजर आते हैं। वे तेजस्वी को समझाते हैं कि मीडिया से उलझना बेकार है और इससे सिर्फ नई विवादित सुर्खियां बनेंगी। लेकिन वीडियो में साफ दिखता है कि तेजस्वी अपने पिता की बातों पर ध्यान नहीं दे रहे, उल्टा लगातार पत्रकारों से भिड़ते रहते हैं।


अब्दुल बारी सिद्दीकी को करना पड़ा हस्तक्षेप

स्थिति बिगड़ती देख राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी बीच में आते हैं। वे तेजस्वी को शांत रहने और मामले को बढ़ावा न देने की सलाह देते हैं। इसके बावजूद तेजस्वी अपनी जिद पर अड़े नजर आते हैं। अंततः लालू यादव और वहाँ मौजूद कार्यकर्ताओं को पत्रकार को बाहर जाने का इशारा करना पड़ता है ताकि विवाद वहीं खत्म हो सके।


क्या लालू का नियंत्रण खत्म हो चुका था?

इस वीडियो के सामने आने के बाद राजनीतिक विश्लेषक यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या तेजस्वी यादव वर्षों से अपने पिता की बातों को महत्व नहीं दे रहे थे? क्या पार्टी के भीतर निर्णय लेने वाला वास्तविक केंद्र बदल चुका था?


यह सवाल इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि 2025 की चुनावी हार के बाद भी पार्टी में यही आरोप उठ रहे हैं कि तेजस्वी ने रणनीति पर सलाह नहीं मानी, संगठन को मजबूत नहीं किया और अपने सलाहकारों पर अत्यधिक निर्भर हो गए। रोहिणी आचार्य के आरोपों ने इस चर्चा को और तेज कर दिया है।


वर्तमान में लालू परिवार जिस संकट से गुजर रहा है, वह केवल चुनावी हार का परिणाम नहीं, बल्कि वर्षों से चल रही अंदरूनी खींचतान और नेतृत्व के मुद्दों की देन भी प्रतीत होता है। तेज प्रताप का अलग होना, रोहिणी के आरोप, और अब 2017 का वायरल वीडियो—ये सभी घटनाएँ एक बड़े राजनीतिक और पारिवारिक संकट की ओर इशारा करती हैं। राजद को आगे बढ़ने के लिए न सिर्फ चुनावी रणनीति पर काम करना होगा, बल्कि परिवार के भीतर बढ़ते मतभेदों को भी सुलझाना होगा। वरना बिहार की राजनीति में पार्टी की पकड़ और कमजोर होती जाएगी।