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Bihar Election 2025: विधानसभा चुनाव में पहली बार वोटिंग करेंगे इतने GEN-Z, चुनावी नतीजे पर क्या पड़ेगा असर?

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 121 सीटों पर वोटिंग होनी है और इस बार सबसे अधिक चर्चा का विषय हैं 18 से 29 साल के युवा मतदाता, जिन्हें आमतौर पर “जेन-जी वोटर” कहा जा रहा है। ये युवा मतदाता कुल वोटरों में...

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 05 Nov 2025 12:39:43 PM IST

Bihar Election 2025

बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 121 सीटों पर वोटिंग होनी है और इस बार सबसे अधिक चर्चा का विषय हैं 18 से 29 साल के युवा मतदाता, जिन्हें आमतौर पर “जेन-जी वोटर” कहा जा रहा है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, ये युवा मतदाता कुल वोटरों का लगभग एक चौथाई हिस्सा हैं। यह वही नई पीढ़ी है जिसने राजनीति को अपने मोबाइल और सोशल मीडिया के जरिए देखा है और अब ईवीएम की बटन दबाकर लोकतंत्र को दिशा देने जा रही है।


चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक जेन-जी वोटर बेगूसराय जिले में हैं, जहां सात विधानसभा सीटों पर युवा मतदाता कुल मतदाताओं का 25.16 प्रतिशत हैं। इसके बाद खगड़िया जिले में यह आंकड़ा 24.29 प्रतिशत और मधेपुरा में 24.66 प्रतिशत है। वहीं, सबसे कम जेन-जी वोटर पटना जिले में हैं, जहां 14 विधानसभा सीटों में उनकी हिस्सेदारी केवल 18.45 प्रतिशत है। शहरी युवा मतदाता डिजिटल रूप से अधिक सक्रिय हैं और राजनीतिक विमर्श में मुखर रहते हैं, इसलिए कम संख्या के बावजूद उनकी राय चुनावी परिणाम पर असर डाल सकती है।


दरभंगा जिले में 18-19 साल के नए मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है, कुल 62,127 मतदाता। जिले की 10 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। पिछली बार 2020 के चुनाव में नौ सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी, जबकि केवल एक सीट राजद के खाते में गई थी। इस बार जेन-जी वोटरों का झुकाव तय करेगा कि यह समीकरण बरकरार रहेगा या बदल जाएगा।


मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर जैसे जिलों में भी युवा मतदाता निर्णायक भूमिका निभाएंगे। मुजफ्फरपुर की 11 सीटों पर जेन-जी वोटरों का औसत हिस्सा 21.15 प्रतिशत है, जबकि समस्तीपुर में यह आंकड़ा 23.89 प्रतिशत है। दोनों ही जिलों में बड़े कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं, जिससे युवा मतदाताओं की राजनीतिक भागीदारी और सक्रियता स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है। सोशल मीडिया कैंपेन और कॉलेज स्तर की बहसों में इनकी उपस्थिति चुनावी माहौल को और रंगीन बना रही है।


जेन-जी वोटर अब पारंपरिक वोट बैंक की तरह नहीं सोचते। वे जाति या धर्म से अधिक रोजगार, शिक्षा, इंटरनेट कनेक्टिविटी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर ध्यान देते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार युवा मतदाताओं की संख्या में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसका मतलब यह है कि हर विधानसभा सीट पर युवा वोटों की हिस्सेदारी किसी भी उम्मीदवार की जीत-हार तय कर सकती है।


विशेष रूप से 18 से 19 साल की उम्र के लाखों मतदाता पहली बार मतदान कर रहे हैं। बेगूसराय, दरभंगा और मधेपुरा में इनकी संख्या उल्लेखनीय है। चुनाव आयोग ने पहली बार वोट डालने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए “मेरा पहला वोट, देश के नाम” अभियान चलाया है। कॉलेज परिसरों में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि युवा मतदाता मतदान प्रक्रिया के प्रति सचेत और सक्रिय बने।


राजनीतिक दलों के लिए जेन-जी वोटर अब ‘साइलेंट गेम चेंजर’ बन सकते हैं। इस युवा वर्ग के पास पार्टी की विचारधारा से अधिक व्यक्तिगत उम्मीदें हैं, नौकरी, अवसर और अपनी आवाज़ सुनी जाने की भावना। यही वजह है कि हर पार्टी अपने प्रचार अभियान में युवा चेहरों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों को शामिल कर रही है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 सिर्फ राजनीतिक दलों की परीक्षा नहीं, बल्कि उस नई पीढ़ी की भी परीक्षा है, जो अब अपने भविष्य के फैसले खुद लेना चाहती है। जेन-जी वोटरों का यह उभार लोकतंत्र के लिए सकारात्मक संकेत है, क्योंकि जब युवा जागते हैं, तो बदलाव अपने आप रास्ता ढूंढ लेता है।