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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 08 Nov 2025 08:18:24 AM IST
बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे और अंतिम चरण में भागलपुर प्रमंडल की सीटें सियासी हलचल के लिए हमेशा से महत्वपूर्ण रही हैं। इस बार चुनावी माहौल और भी जटिल हो गया है, क्योंकि पार्टी और गठबंधन के भीतर नाराज नेताओं और बागी उम्मीदवारों ने स्थिति को और पेचीदा बना दिया है। पार्टी से नाराज विधायक बागी बन गए, टिकट कटने पर नाराज हुए तो गठबंधन के सहयोगी दलों में तनाव पैदा हो गया। भागलपुर प्रमंडल में कुल 12 सीटें हैं, जिनमें भागलपुर की सात और बांका जिले की पांच सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर कुल 6 विधायक बागी बन गए हैं, जिससे चुनावी समीकरण और भी संवेदनशील हो गए हैं।
भागलपुर विधानसभा क्षेत्र: रोहित पांडेय और अजीत शर्मा का मुकाबला
भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में इस बार पिछले चुनाव वाला मुकाबला दोहराया जा रहा है। कांग्रेस से अजीत शर्मा और भाजपा से रोहित पांडेय आमने-सामने हैं। पिछली बार रोहित पांडेय मामूली अंतर से हार गए थे, जिसकी वजह लोजपा प्रत्याशी राजेश वर्मा को बताया गया था। इस बार भी एनडीए में नाराजगी की लहर शांत करने के लिए केंद्रीय नेता अमित शाह तक को हस्तक्षेप करना पड़ा। पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित चौबे और पार्टी प्रवक्ता प्रीति शेखर ने भी बगावत के इरादे छोड़ दिए।
कांग्रेस के अजीत शर्मा को शत प्रतिशत मुस्लिम वोट मिलने का भरोसा है, जबकि जनसुराज पार्टी के अधिवक्ता अभयकांत झा पर दोनों बड़े दलों की निगाह है। दक्षिणी क्षेत्र में इस बार वोटर सहानुभूति और स्थानीय मुद्दों के आधार पर वोट करने की संभावना जताई जा रही है। अजीत शर्मा अपनी जाति को गोलबंद करने और बाजार के वोट को अंतिम निर्णय का आधार बनाने में व्यस्त हैं।
कहलगांव और सुल्तानगंज: गठबंधन में नाराजगी का पेंच
कहलगांव में स्थिति जटिल है। एनएच-80 के गोल सराय चौक और आसपास के क्षेत्रों में तीन विधानसभा क्षेत्रों का संगम है, कहलगांव, पीरपैंती और नाथनगर। यहाँ भागलपुर सांसद अजय मंडल और उनके परिवार की नाराजगी सामने आई है। सांसद ने पार्टी से नाराज होकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस्तीफे की पेशकश तक कर दी थी। स्थानीय मतदाता इस नाराजगी का असर अपने वोट में दिखा सकते हैं।
कहलगांव में नाराजगी के चलते कई निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। राजद से संजय यादव के पुत्र रजनीश भारती, कांग्रेस से प्रवीण कुशवाहा और सांसद के भाई अनुज मंडल भी चुनाव लड़ रहे हैं। गठबंधन के नियमों के बावजूद दोनों दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार को बनाए रखा, जिससे मतों का बंटवारा तय है।
सुल्तानगंज में जदयू के विधायक ललित मंडल फिर मैदान में हैं, जबकि राजद ने चंदन कुमार और कांग्रेस ने ललन कुमार को उतारा है। चंदन कुमार ने लालटेन लेकर प्रचार शुरू किया और जदयू के कोर वोटर ललित मंडल पर भरोसा कर रहे हैं। नाथनगर में राजद के विधायक सिद्दकी नाराज होकर मैदान में हैं। उनके विरोध में शेख जेड हसन (राजद) और मिथुन कुमार (लोजपा-आर) भी उम्मीदवार हैं।
गोपालपुर: त्रिकोणीय मुकाबला और बंटवारे की संभावना
गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र में जदयू के नाराज विधायक गोपाल मंडल ने पटना में धरना देने के बाद पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय उम्मीदवार बन गए। जदयू ने इस बार पूर्व सांसद बुलो मंडल को टिकट दिया है, जो हाल ही में राजद छोड़कर जदयू में शामिल हुए। महागठबंधन ने वीआईपी के प्रेम सागर (डब्लू यादव) को मैदान में उतारा। इस तरह गोपालपुर का मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। कोर वोट का बंटवारा यहां निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
बिहपुर और पीरपैंती: टिकट कटने और बागियों की वजह से उलझा मामला
बिहपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायक ई. शैलेंद्र को पार्टी ने फिर से भरोसा जताया है। उनका मुकाबला वीआईपी की अर्पणा कुमारी और जनसुराज के पवन चौधरी से है। अर्पणा पहले जदयू की नेता थीं और टिकट न मिलने की वजह से वीआईपी से सिंबल मिला। इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी प्रचार के लिए विशेष ध्यान दिया।
पीरपैंती सीट पर निवर्तमान विधायक ललन पासवान टिकट कटने के बाद राजद में शामिल हो गए। उनके मुकाबले राजद ने राम विलास पासवान और जनसुराज के घनश्याम दास को मैदान में उतारा। बसपा और आप पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी दिए हैं। यह सीट एनएच-80 के किनारे और झारखंड सीमा से सटी होने की वजह से रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यहाँ अंतिम मुकाबला आमने-सामने होगा और मतों का बंटवारा निर्णायक साबित हो सकता है।
भागलपुर प्रमंडल में बागी उम्मीदवारों और गठबंधन में नाराजगी की वजह से मतदाता के फैसले पर असर पड़ सकता है। टिकट कटने और गठबंधन सहयोगियों की नाराजगी ने चुनाव को त्रिकोणीय और बहु-पक्षीय बना दिया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बार मतदाता केवल दल या नेताओं के भरोसे नहीं, बल्कि स्थानीय मुद्दों, विकास और नेताओं की निष्ठा के आधार पर वोट करेंगे।
ऐसे में भागलपुर, सुल्तानगंज, गोपालपुर और पीरपैंती में मतों का बंटवारा और बागियों की स्थिति निर्णायक साबित होगी। यह प्रमंडल न केवल बिहार चुनाव के परिणाम को प्रभावित करेगा, बल्कि यह संकेत भी देगा कि मतदाता अब नाराजगी और व्यक्तिगत विवादों पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।