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Bihar Assembly elections : पवन सिंह को लेकर सामने आया बड़ा सच,जानिए क्यों नहीं लड़ रहे विधानसभा का चुनाव; इस तरीके से पहुंचेंगे मोदी और शाह के पास

भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका फोकस लोकसभा और राज्यसभा चुनावों पर है। भाजपा में उनकी वापसी के बाद भविष्य की राजनीतिक योजनाओं पर चर्चा।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 25 Oct 2025 08:39:05 AM IST

Bihar Assembly elections : पवन सिंह को लेकर सामने आया बड़ा सच,जानिए क्यों नहीं लड़ रहे विधानसभा का चुनाव; इस तरीके से पहुंचेंगे मोदी और शाह के पास

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Bihar Assembly elections : भोजपुरी फिल्म और संगीत जगत के सुपरस्टार पवन सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। इस बाबत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और भोजपुरी गायक मनोज तिवारी ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने बताया कि पवन सिंह का मन विधानसभा चुनाव में उतरने का नहीं है, बल्कि उनकी दृष्टि लोकसभा चुनाव की ओर है। मनोज तिवारी ने खुलासा किया कि साल 2024 में उन्होंने ही पवन सिंह को पार्टी से आसनसोल सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिलवाया था।


हालांकि, पवन सिंह ने उस समय पार्टी के निर्देशों को मानने की बजाय बगावत की और आसनसोल का टिकट ठुकरा दिया। इसके बाद उन्होंने बिहार की काराकाट विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया, लेकिन वे हार गए। इस कारण भाजपा ने उन्हें अस्थायी रूप से निष्कासित कर दिया था।


बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पवन सिंह की भाजपा में वापसी कराई गई। इस संबंध में मनोज तिवारी ने कहा कि पवन सिंह भविष्य में सांसद बनने की इच्छा रखते हैं और भाजपा उन्हें उपयुक्त सीट से चुनाव लड़वाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पवन सिंह राज्यसभा के जरिए भी सक्रिय राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं।


पवन सिंह की लोकसभा चुनाव में उपस्थिति और राजनीतिक रुझान को लेकर चर्चा लंबे समय से हो रही थी। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में पवन सिंह के काराकाट सीट से निर्दलीय मैदान में उतरने के बाद एनडीए के प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने बाद में उपेंद्र कुशवाहा और पवन सिंह के बीच सुलह करवाई, जिससे पवन सिंह की पार्टी में पुनः वापसी संभव हो सकी।


पिछले महीने भाजपा ने पवन सिंह की वापसी की औपचारिक घोषणा की, जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि वे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, भाजपा की 101 उम्मीदवारों की सूची में पवन सिंह का नाम शामिल नहीं था। इससे साफ संकेत मिला कि उनका फोकस फिलहाल विधानसभा चुनाव नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव पर है।


भोजपुरी सिनेमा और संगीत जगत में पवन सिंह की लोकप्रियता को देखते हुए राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि उनका भविष्य भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। पार्टी उन्हें भविष्य में लोकसभा या राज्यसभा के जरिए राजनीति में आगे बढ़ाने की योजना बना रही है। मनोज तिवारी ने भी कहा कि पवन सिंह जैसे लोकप्रिय और जनप्रिय चेहरे भाजपा के लिए चुनावी दृष्टि से अहम हैं।


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पवन सिंह का लोकसभा चुनावों की ओर रुख करना भाजपा की रणनीति का हिस्सा है। बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी गैर-उपस्थिति से पार्टी ने अपने पुराने और स्थानीय नेताओं पर भरोसा जताया है। इसके बावजूद, पवन सिंह की लोकप्रियता और उनके समर्थक उन्हें भविष्य में बड़े राजनीतिक मंच पर सफलता दिला सकते हैं।


पवन सिंह के विधानसभा चुनाव में न उतरने के फैसले के पीछे यह भी कारण माना जा रहा है कि वे राजनीति को धीरे-धीरे समझना और सही समय पर बड़े चुनाव में कदम रखना चाहते हैं। उनकी वापसी और भाजपा में पुन: शामिल होने से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी उन्हें सिर्फ चुनावी मोर्चे पर नहीं बल्कि भविष्य में राज्य और केंद्र स्तर पर भी प्रमुखता देने की योजना बना रही है।


भाजपा के लिए पवन सिंह की वापसी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनकी लोकप्रियता पार्टी को वोट बैंक मजबूत करने में मदद कर सकती है। उनका नाम न सिर्फ भोजपुरी भाषा और संस्कृति से जुड़े मतदाताओं के बीच आकर्षण बढ़ा सकता है, बल्कि युवा और फिल्म-प्रेमी वर्ग को भी पार्टी की ओर खींच सकता है।


मनोज तिवारी ने स्पष्ट किया कि पवन सिंह की नजर विधानसभा चुनाव की बजाय लोकसभा और राज्यसभा की सीटों पर है। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में सही समय और सही जगह पर पवन सिंह पार्टी के लिए चुनाव लड़ेंगे और जनमानस के बीच अपनी लोकप्रियता का असर दिखाएंगे।


इससे पहले, पवन सिंह ने 2024 में बगावत कर काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिससे भाजपा और एनडीए को असमय चुनौती का सामना करना पड़ा। हालांकि, अब पार्टी और पवन सिंह के बीच सुलह हो चुकी है और वे भविष्य की रणनीति में शामिल हो चुके हैं।


भाजपा के भीतर यह भी चर्चा है कि पवन सिंह के राजनीतिक करियर का यह अगला पड़ाव विधानसभा नहीं बल्कि लोकसभा और राज्यसभा से जुड़ा होगा। पार्टी उनके लिए उपयुक्त सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार कर रही है।


कुल मिलाकर, पवन सिंह का विधानसभा चुनाव में न उतरना और लोकसभा पर ध्यान केंद्रित करना उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा और भाजपा की रणनीति दोनों का हिस्सा है। उनकी वापसी ने यह संकेत दे दिया है कि भोजपुरी स्टार राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहना चाहते हैं और भविष्य में बड़ी राजनीतिक जिम्मेदारी निभा सकते हैं।