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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 18 May 2025 06:46:54 PM IST
इंदिरा आवास के नाम पर मांगा घूस - फ़ोटो REPORTER
BIHAR: बिहार के सीवान जिले के भगवानपुर हाट प्रखंड अंतर्गत शंकरपुर पंचायत से एक भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इंदिरा आवास योजना का लाभ देने के नाम पर एक लाभार्थी से पंचायत के आवास सहायक सुनील कुमार ने 12 हजार रूपये घूस ली। वह 50 हजार रूपया रिश्वत मांग रहा है। यह आरोप इंदिरा आवास की महिला लाभूक ने लगाया। उन्होंने घूसखोर सहायक की शिकायत विभाग के अधिकारियों से की लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया। यह मामला अब स्थानीय प्रशासन से होता हुआ पटना हाई कोर्ट तक पहुँचने वाला है। इसकी चेतावनी के साथ तूल पकड़ रहा है।
रिश्वत का डिजिटल सबूत और ऑडियो वायरल
पीड़ित लाभार्थी विकास कुमार यादव ने बताया कि आवास की स्वीकृति के बदले में सहायक ने उनसे ₹12,000 की रिश्वत की मांग की। विकास ने आरोप के समर्थन में गूगल पे का भुगतान स्क्रीनशॉट और एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी प्रस्तुत की है, जिसमें कथित रूप से मनोज कुमार यादव की आवाज़ में पैसे की बात हो रही है। ये दोनों सबूत अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिससे प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है।
प्रशासन से की शिकायत, लेकिन नहीं हुई कोई सुनवाई
पीड़ित लाभार्थी विकास कुमार ने इस भ्रष्टाचार की शिकायत प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) विशाल कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी अनिल कुमार, उपविकास आयुक्त मुकेश कुमार, और जिला पदाधिकारी मुकुल कुमार से की लेकिन अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया।
“अधिकारियों की चुप्पी भ्रष्टाचार को संरक्षण”– वार्ड सदस्य
शंकरपुर पंचायत के वार्ड सदस्य शंकर यादव ने प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा, "जब सारे सबूत मौजूद हैं, तब भी अगर कार्रवाई नहीं होती है, तो यह स्पष्ट संकेत है कि रिश्वतखोर को बचाने की कोशिश की जा रही है।" उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला, तो पटना हाई कोर्ट में एफआईआर दर्ज की जाएगी, और चारों अधिकारियों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा।
ग्रामीणों का समर्थन, जनआक्रोश बढ़ा
इस मुद्दे पर स्थानीय ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि गरीबों को मिलने वाले इंदिरा आवास जैसे कल्याणकारी योजना का लाभ अगर रिश्वत लेकर दिया जा रहा है, तो यह सामाजिक न्याय के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है। कई ग्रामीणों ने कहा कि अगर प्रशासन ने पीड़ित की बात नहीं सुनी, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।यह मामला बिहार में व्याप्त स्थानीय स्तर पर फैले भ्रष्टाचार की एक और तस्वीर है, जहाँ योजनाओं का लाभ लेने के लिए भी आम नागरिकों को रिश्वत देनी पड़ रही है।
जब प्रशासनिक अधिकारियों तक शिकायतें पहुँचने के बाद भी कार्रवाई न हो, तो सवाल उठता है कि जनता इंसाफ के लिए आखिर किस दरवाज़े पर जाए? अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वायरल हुए डिजिटल सबूतों और लोगों के बयान के बीच प्रशासन क्या रुख अपनाता है, या फिर यह मामला भी बाकी मामलों की तरह समय के साथ दबा दिया जाएगा।