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Rajeev Gauba IAS : बिहार के सरकारी स्कूल से नीति आयोग तक, राजीव गौबा की प्रेरणादायक यात्रा

Rajeev Gauba IAS :पटना के एक सरकारी स्कूल से अपनी शिक्षा शुरू करने वाले राजीव गौबा अब नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्य बन गए हैं। उन्होंने झारखण्ड में अपनी सेवा के दौरान प्रशासनिक सुधारों में अहम भूमिका निभाई .

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 27 Mar 2025 04:42:03 PM IST

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Rajeev Gauba file picture - फ़ोटो Google

Rajeev Gauba IAS : पटना के एक सरकारी स्कूल से अपनी शिक्षा की शुरुआत करने वाले राजीव गौबा अब नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्य बन गए हैं। उनकी इस सफलता के पीछे वर्षों की कड़ी मेहनत और संघर्ष छिपा है। हाल ही में सेवानिवृत्त हुए गौबा ने पांच वर्षों तक कैबिनेट सचिव के रूप में सेवा दी और इस पद पर सबसे लंबे समय तक कार्य करने वाले अधिकारियों में से एक बने।

प्रशासनिक सेवा में राजीव गौबा की महत्वपूर्ण भूमिका

1982 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी राजीव गौबा इससे पहले भारत सरकार में कैबिनेट सचिव रह चुके हैं। उन्होंने 2019 से 2024 तक इस पद पर अपनी सेवाएं दीं। इसके अलावा, वे झारखंड के मुख्य सचिव के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।

झारखंड से गहरा नाता

गौबा का झारखंड से विशेष संबंध रहा है। वे जनवरी 2015 से मार्च 2016 तक राज्य के मुख्य सचिव के पद पर रहे और इसके अलावा शहरी विकास मंत्रालय में सचिव की भूमिका भी निभाई। अपने कार्यकाल में उन्होंने प्रशासनिक सुधारों को प्राथमिकता दी और शासन व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने युवाओं को बेहतर अवसर प्रदान करने पर जोर दिया और ग्रामीण क्षेत्रों में सीआरपीएफ कैंप स्थापित करने में भी योगदान दिया।

शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि

राजीव गौबा ने पटना साइंस कॉलेज से भौतिकी में बीएससी की पढ़ाई की और स्कूल के टॉपर रहे। उनका जन्म 15 अगस्त 1959 को पंजाब में हुआ था। उनके पिता पटना में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थे, जबकि उनकी माता गृहिणी थीं। उनकी पत्नी पम्पी गौबा जेपी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बायोटेक्नोलॉजी विभाग की डीन और प्रमुख रह चुकी हैं।

नीति आयोग में नई जिम्मेदारी

कैबिनेट सचिव के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद अब राजीव गौबा नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में कार्य करेंगे। इस नई भूमिका में वे राष्ट्रीय नीतियों के निर्माण में अहम योगदान देंगे। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित करने के अलावा, वे कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और तकनीकी विकास से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर सरकार को सुझाव देंगे। साथ ही, विभिन्न सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन और आर्थिक नीतियों को प्रभावी बनाने में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी।